मुरुडेश्वर में बीता एक मनोरंजक दिन
हम कुछ ९.३० बजे इडागूंजी से वापस आये मुरुडेश्वर में और उस दिन एकादशी थी. आते ही रिक्शा में से हमने फोन लगाया मुकेश को कि उनका परिवार तैयार हुआ है कि नहीं. तो पता चला कि वे लोग मंदिर परिसर में है. हम लोग पहले हमारे गेस्ट हाउस में गए. हमें पता था कि हमें समुन्दर में नहाना है. तो उसके लिए मैं नारियल का तेल शारीर पर लगाता हूँ .इससे समुद्री खारे पानी का असर कम हो जाता है . सनबर्न नहीं होते और त्वचा टेन (tan) ज्यादा नहीं होती. हम घर से बाहर निकले तो हम भी मंदिर में गए दर्शन के लिए. वैसे भी दर्शन केवल मैंने ही किये थे . सोनाली ने नहीं. तो सोनाली और आर्या को दर्शन कराने में ले गया. साथ साथ मै रास्ते पर फोटो सेशन भी करने लगा. पंचवटी गेस्ट हाउस से लेकर मंदिर परिसर और समुन्दर.आज के लेख में आपको ज्यादा चित्र ही दिखेंगे क्यूंकि ज्यादातर मुरुडेश्वर का विवरण मैंने पहली पोस्ट में ही कर दिया है. आइये अब चित्रों के दर्शन कीजिये.
अब पहुचे मंदिर में
मुरुडेश्वर में सुबह :- जब हम मंदिर पहुचे और मुकेश को फोन लगाया तो वे लोग नवीन बीच रैस्टोरेंट में नाश्ता कर रहे थे. तो फिर हम लोग शिव मूर्ती को छोड़ कर मुकेश के परिवार की ओर नवीन रैस्टोरेंट में चले आये. और वैसे भी मेरी बच्ची आर्या को बहुत भूख लगी थी तो हम पहुचे नवीन बीच रैस्टोरेंट हम रैस्टोरेंट पहुचकर करीब १५ मिनिट तक बैठे रहे और तब तक कोई वेटर नहीं आ रहा था. मैंने जाकर एक वेटर को बुलाया तो कहने लगा की हम जिस टेबल पर बैठे है उसका वेटर छुट्टी पर गया था. मैंने कहा की की वह स्वयं हमारा ओर्डर क्यूँ नहीं लेता . तो उसने कहा की नहीं लेगा मेरे यह कहने पर भी की मेरी ४ साल की बच्ची भूखी है. फिर मैं मेनेजर के पास गया तो उसकी कुर्सी पर २ महिलाये बैठी थी. मैंने उन्हें कहा की कोई वेटर नहीं आ रहा है हमारे टेबल पर तो उन्होंने पहले तो जवाब नहीं दिया . फिर उन्होंने कहा की वेटर आयेगा थोड़ी देर में . और १० मिनिट हो गयी तो भी कोई वेटर नहीं आया .और आर्या ने ३ -४ बार कहा कि पापा भ्रूख लगी . अब आधा घंटा हो गया था होटल में बैठकर और अभी तक कोई पानी पूंछने भी नहीं आया. तब भाई हमारी खोपड़ी घूम गयी और मुझसे रहा नहीं गया . मैंने पहले उस वेटर को जोर से चिल्लाकर झाडा. वो एक दम डर गया. उसके बाद मैंने उन दोनों महिलाओं जो मेनेजर की कुर्सी पर बैठी थी उनको जोर से अंग्रेजी में झाडा. तो ऐसी डर गयी और कहा की तुम्हारी शिकायत मैं तुम्हारे साहब को करूँगा .वे दोनों सीधी खड़ी होकर माफ़ी मांगने लगी कहा की कोई वेटर तुरंत ओर्डर लेंगे. बस फिर क्या फ़टाफ़ट जो चाहिए तुरंत ३-४ मिनिट में हाज़िर हो गया खाना. हमने वहा खाना खाया और चल दिए बीच की ओर.
ऊपर वाला फोटो मुकेश ने लिया है. मुकेश जब यह फोटो ले रहा था तब उसका मुंह ज़मीन से केवल १-२ इंच ऊपर रहा होगा. पूरी तरह से लेट गया था मेरा और पूरा रजागोपुरम का फोटो लेने के लिए . तालिया …………………
मुरुडेश्वर बीच में मनोरंजन और वाटर स्पोर्ट्स :- मुरुडेश्वर बीच बहुत ही सुंदर है खास तौर पर नहाने के लिए . यहाँ पर नहाना थोडा सुरक्षित जरूर है. क्यूंकि यहाँ पर स्थानीय गाव वाले वाटर स्पोर्ट्स का व्यापार करते है . तो पहली बात उन्हें तैरना आता है और उनके पास काफी लाइफ सेविंग जेकेट्स है. कभी कुछ परेशानी होती है तो आपको समुद्र में कही भी एकाध स्थानीय बंदा और लाइफ जेकेट तो मिल ही जायेगा . लेकिन सबसे बड़ा मजा आता है नहाने का. मैंने और सोनाली ने सोचा था कि वाटर स्पोर्ट्स में जायेंगे . वाटर स्पोर्ट्स में जाने पहले बता दूं कि यहाँ पर ४ परकार के वाटर स्पोर्ट्स है. १) पेरा ग्लाइडिंग २) वाटर स्कूटर ३) बनाना राईड और ४ ) फॅमिली सुपरस्पोर्ट बोट. मैने और सोनाली ने सोचा कि पेरा ग्लाइडिंग में जायेंगे तो हमने एक वाटर स्पोर्ट्स वाले बंदे को कहा कि हमें पेरा ग्लाइडिंग करना है तो उसने कहा कि ज्यादा भीड़ होने कि वजह से आधा घंटा लगेगा . तो मैंने कहा कि ठीक है हम तब तक नहा लेंगे समुंदर में . लेकिन समुंदर में नहाने के बाद इतना थक गए कि होश कहा.
और हम चल दिए जहा पर मुकेश और उसका परिवार समुंदर में नहा रहा था. सोनाली ने कहा कि वोह नहीं आ रही है पानी में तो वो बीच से ही गेस्ट हाउस चली गयी. मेरे ख़याल से मुकेश का परिवार पहली बार साथ में नहा रहे थे किसी बीच पर . मुझे उन्हें देख कर काफी मजा आ रहा था. वे लोग घुटने तक के पानी में समुद्र कि लहरों का आनंद ले रहे थे . तब मेरे ध्यान में एक बात आई क्यूँ ना मैं मुकेश को गहरे पानी में ले जाऊ और उसे बीच में नहाने का असली मजा कराऊँ . मैं मुकेश का हाथ पकड़ ले गया उसे गर्दन तक के पानी में जहां समुद्र कि लहरें बनती है. जैसे ही लहर बनती है और हमारो तरफ आती है तो हमें सिर्फ थोडा जमीन पर कूदना पड़ता है , फिर हम अपने आप लहर के साथ उपर पानी में गोते खाते है. बड़ा मजा आता है . लेकिन मुकेश भी ज्यादा देर उतने गहरे पानी में रह नहीं सके . क्यूँ ???? क्यूंकि कविता जी साथ में नहीं थी. उन्हें तभी आनंद आता है जब कविताजी खुश होती है ऐसा अटूट प्रेम करते है हमारे मुकेश भाई. वे वापिस आये और कविताजी को गहरे पानी में ले गए गोता खिलाने . दो हंसो का जवान जोड़ा आज समुन्दर में साथ साथ गोते खा रहा था . इस प्रेम को देखकर ऐसा ही लगता है कि एक मिनिट भी दोनों एक दुसरे के बिना नहीं रह सकते . और ऐसा मैंने पूरे ७ दिनों में देखा . वरना आज कल के शादीशुदा जोड़ो को देखो. साथ रहने कि बजाय ” मेरी पर्सनल स्पेस ” कितनी है उस पर विवाद होता है.खैर हम तो एकाध घंटा नहा कर थक गए थे . करीब ११.३० बजे होंगे . हम वापिस गेस्ट हाऊस आ गए . बच्चे नहा कर बहुत थक गए थे और सो गए.
मुरुडेश्वर में दोपहर :- हम गेस्ट हाउस गए और फिर शुद्ध पानी से स्नान किया . थोड़ा आराम किया . बच्चे सो गए २ घंटे और हम मुकेश के परिवार के साथ फिर बाहर निकले . इस बार कविताजी नहीं थी .उनका कड़क एकादशी का उपवास था. ऊपर से रविवार का दिन था . और मुकेश का सारा परिवार सोमवार को भी उपवास रखता है . इस लिए कविताजी दो दिन लगातार कड़क उपवास रखने वाली थी. और जैसे कि मैंने कहा मुकेश का प्रेम कविताजी के लिए , बेचैन होने लगे . इधर उधर उपवास का खाना ढूँढने लगे .लेकिन मुरुडेश्वर छोटी जगह है और वहा खाने पीने की चीज़े खास तौर पे उत्तर भारत की कम ही मिलती है. तो मुकेश ने कुछ आलू के वेफर लिए और मैंने मुकेश को सुरण का वेफर जो कि उपवास में चलता है वोह ढूंढकर दिया और सोनाली ने कुछ सिंगदाने लिए.कविताजी ने उसे खाया लेकिन मुझे पता नहीं उन्हें कितना यह पसंद आया. बाद मे मुकेश को रास्ते में एक भजिये वाला मिला . वाह मुकेश को जैसे सोने कि खान ही मिल गयी थी . उसने मिर्ची के भजिये के दो पैकेट बनाने को कहा .एक तो उसने स्वयं खा लिया और एक बच्चो के लिए ले गया.वैसे तो मुकेश ने खाना खाया था लेकिन उस भजिये को खाने में जो मुकेश के चेहरे तृप्ति दिखाई दे रही थी वोह मैंने महसूस की. मैंने सोनाली से कहा की मुंबई जाके मुकेश के परिवार को जी भर के खिलाएंगे जो उनको चाहिए. फिर शाम को मैंने और मुकेश ने मुरुडेश्वर में गोलगप्पे ( शेव्पूरी) भी खाए एक ठेले पर . क्यूँ मुकेश याद है ?????
और हाँ मुरुडेश्वर में हमारे सभ्य मुकेश भालसे ने पहली बार जिंदगी में शोर्ट्स ख़रीदे और ट्रिप के दौरान पहने . लेकिन मुकेश शोर्ट्स के साथ मैं आपको अगली पोस्ट में दिखाऊंगा, क्यूंकि मुकेश ने शोर्ट्स गोकर्ण में ही पहने थे .
इस बीच मई सोनाली और आर्या जाके आये मंदिर परिसर में और दर्शन करके कुछ चित्र खिचे.
करीब ३.०० – ३.३० बजे हमें और मुकेश के परिवार को रूम से बाहर निकाल दिया , क्यूंकि उनका चेक आउट टाइम हो गया था . हमने कहा की केवल एक घंटा हमें खाली सामान रखने दो. फिर भी उन्होंने हमें मना किया . उनका थोडा व्यवहार थोडा अशिष्ट और असभ्य हो गया था. हम शाम को गोकर्ण जाने वाले थे और हमारी ट्रेन मुरुडेश्वर रेलवे स्टेशन से कुछ ५.४० बजे की थी. तो हमने एकाध घंटा इस बालकनी में बिताया हसंते खेलते . फिर ५.०० बजे हम निकले मुरुडेश्वर रेलवे स्टशन की ओर .
चलिए अब मुकेश ने कुछ अपने परिवार की तस्वीरे खिची है उसे देख ले .
यहाँ पर मुकेश से एक बड़ी गलती हो गयी. मुकेश कैमरा समुद्र में ले गया . समुद्र की लहरें किस वक्त तेज हो जाती है उसका पता नहीं चलता और ऐसा ही हुआ. एक समुद्र की लहर आई और मुकेश के कैमरा में खारा पानी घुस गया. और फिर वो ठीक नहीं हो पाया.नसीब से सारे फोटो बच गए . नीचे खीचा गया फोटो उसके कैमरे का अंतिम फोटो था.
आशा है आपको मुरुडेश्वर पसंद आया होगा. अब मैं आपको मुरुडेश्वर कैसे जाना है उसके बारे में बता दूं .
मुरुडेश्वर कर्नाटक में स्थित एक समुद्री गाँव है. यह NH -17 हाइवे पर स्थित है भटकाल और कुमता के बीच में. वैसे मुरुडेश्वर का खुद का रेलवे स्टेशन है. लेकिन वहाँ कम ट्रेने रूकती है.भटकाल और कुमता रेलवे स्टेशनों पर लगभग सारी ट्रेने रूकती है. बसों और प्राइवेट गाडियों की कोई कमी नहीं है . आपको रेलवे स्टशन से मिल ही जायेगी . मंगलौर में सबसे नजदीक हवाई अड्डा है जो करीब 165 किमी की दूरी पर है.
अब आपको होटलों की जानकारी दे दूं
आर एन एस रेसीडेंसी :- ५ स्टार होटल बिलकुल मंदिर परिसर में और समुन्दर के सामने . रेट :- रू २५०० – ३००० प्रति दिन , फोन :- 08385 – 268901 / 2 / 3
मुरुडेश्वर बोर्डिंग एंड लोजिंग :- ठीक ठाक सुविधाए . समुद्र के सामने नहीं है . शहर के बीचो बीच. :- रेट :- रू ८०० प्रति दिन फोन : 08385-560479, 560480
हमारी पंचवटी गेस्ट हॉउस :- आपको इसका वर्णन तो कर दिया है :- रेट :- रू ४०० – ४५० तक प्रति दिन फोन :- 09448757061
और होटल्स के लिए क्लिक कीजिये
http://www.oktatabyebye.com/travel-ideas/hotels-in-india/murudeshwar-hotels.aspx
अब मैं यहाँ अपनी मुरुडेश्वर की यात्रा खतम करता हूँ. आगे की यात्रा में आपको मूल स्थान गोकर्ण में ले चलूँगा.
तब तक के लिए जय राम जी की …………………..
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