सभी घुमक्कड़ साथियों को मेरी ओर से ॐ नमः शिवाय. अपने धार्मिक यात्रा वृत्तांतों की श्रंखला की अगली कड़ी में मैं आप लोगों को को लेकर चल रहा हूँ माँ तुलजा भवानी की पावन नगरी देवास तथा भगवान भोलेनाथ के पवित्र स्थान उज्जैन की यात्रा पर.
कई दिनों से कोई धार्मिक यात्रा की योजना नहीं बन पाने की वजह से मन थोडा सा विचलित था अतः पत्नी तथा मैंने अपने नजदीक ही स्थित देवास तथा उज्जैन की एक संक्षिप्त यात्रा की योजना को अंतिम रूप दे ही दिया.
अपनी योजना के अनुसार हम अपनी शेवरोले स्पार्क कार से दिनांक 10 .11 .11 को सुबह आठ बजे देवास के लिए निकल पड़े तथा करीब 11 बजे देवास पहुँच गए.
देवास परिचय:
यह एक प्राचीन शहर है जो की मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में स्थित देवास जिले का मुख्यालय है. मध्य प्रदेश की प्रशासनिक राजधानी भोपाल यहाँ से करीब 160 किलोमीटर तथा व्यावसायिक राजधानी इंदौर यहाँ से मात्र ३५ किलोमीटर की दुरी पर स्थित है.
देवास दो शब्दों ‘देव’ तथा ‘वास’ से मिलकर बना है जिसका मतलब है देवों का वास अर्थात वह शहर जहाँ देवों का वास हो. देवास शहर धार्मिक, साहित्यिक, साहित्यिक, संस्कृतिक तथा ऐतिहासिक द्रष्टि से एक महत्वपूर्ण शहर है. यहाँ पर टाटा इंटरनेश्नल, रेनबेक्सी, एस कुमार्स, जोनसन पेडर तथा आयशर जैसे कई बड़े निजी क्षेत्र के उद्योग स्थित हैं. यहाँ पर भारत सरकारकी एक अति महत्वपूर्ण इकाई बैंक नोट प्रेस भी स्थित है जहाँ पर उच्च गुणवत्ता के बैंक नोट छपते हैं. भारतीय शास्त्रीय संगीत के मूर्धन्य कलाकार श्री कुमार गन्धर्व की कर्मस्थली देवास ही रही है.
मुख्य रूप से देवास, माता तुलजा भवानी तथा चामुंडा माता के मंदिर के लिए भारत भर में प्रसिद्ध है.
कैसे पहुंचें
बस द्वारा: देवास राष्ट्रीय राजमार्ग नं. 3 (आगरा बॉम्बे रोड) पर स्थित है तथा मध्य प्रदेश के प्रमुख शहरों से सड़क द्वारा जुड़ा हुआ है.
रेल द्वारा: देवास रेलवे स्टेशन एक जंक्शन है तथा भारत के के बड़े शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई तथा जयपुर आदि से रेल मार्ग से जुड़ा हुआ है.
हवाई मार्ग द्वारा: देवास का समीपस्थ हवाई अड्डा है देवी अहिल्या बाई होलकर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा इंदौर जो की देवास से 45 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है तथा भारत के कई मुख्य शहरों से हवाई मार्ग से जुड़ा है.
तो यह था एक संक्षिप्त परिचय देवास शहर से और आइये अब हम चलते है अपने यात्रा वृत्तान्त की ओर.
देवास पहुँच कर सर्वप्रथम हमने कैला माता के मंदिर के दर्शन करने का निश्चय किया. अपनी कार को मंदिर के बगल में स्थित पार्किंग ज़ोन में पार्क करके हम मंदिर में प्रवेश कर गए. यह मंदिर एक बड़े परिसर में स्थित है. मंदिर ज्यादा पुराना नहीं है तथा दक्षिण भारतीय शैली में निर्मित है. इस मंदिर का मुख्या आकर्षण यहाँ पर स्थित भगवान हनुमान की विशालकाय प्रतिमा है. परिसर में कैला माता के अति सुन्दर मंदिर के अलावा भगवान शिव का एक अति सुन्दर मंदिर तथा शनि नवगृह मंदिर भी है.
कैला माता मंदिर के आविस्मर्नीय दर्शनों के पश्चात हमने देवास के मुख्य आकर्षण माँ तुलजा भवानी तथा चामुंडा माता की टेकरी की और रुख किया.
जैसा की अक्सर होता है की माता के मंदिर हमेशा पहाड़ पर ही होते हैं इसीलिए माँ दुर्गा को पहाड़ों वाली माँ भी कहा जाता है . देवास में भी माता का मंदिर विन्ध्याचल पर्वत श्रेणी में स्थित एक शंकु के आकर के पर्वत पर स्थित है. स्थानीय लोग इस पहाड़ी को माता की टेकरी कहते हैं, यह टेकरी राष्ट्रीय राजमार्ग नं. 3 (आगरा बॉम्बे रोड) पर इंदौर से करीब 35 किलोमीटर की दुरी पर (भोपाल की ओर) स्थित है.
मंदिर पहुँचने के लिए मुख्या प्रवेश द्वार, रोड के ठीक किनारे पर स्थित है तथा प्रवेश द्वार से लेकर मुख्या मंदिर तक पत्थरों की सीढियाँ बनी हुई हैं तथा बीच बीच में विश्राम के लिए भी स्थानक बनाये गए हैं.
पहाड़ी के शीर्ष पर विपरीत दिशाओं में मंदिर स्थित हैं एक माता तुलजा भवानी (बड़ी माता ) का तथा दूसरा माँ चामुंडा ( छोटी माता) का. मार्ग में पहले चामुंडा माता का मंदिर आता है जहाँ पर एक गुफा में एक वृहद् शिला को तराश कर माता चामुंडा की छवि उकेरी गयी है जिनके दर्शन मात्र से चढ़ाई की साडी थकान छूमंतर हो जाती है.
माना जाता है की यह मंदिर महाराजा विक्रमादित्य के समय का है. टेकरी पर नाथ संप्रदाय के योगियों की शक्तिपीठ भी स्थित है. नाथ संप्रदाय के इतिहास के अनुसार यहाँ पर महर्षि भ्रतहरी जो की उज्जैन के महाराजा विक्रमादित्य के भाई थे तथा गुरु गोरक्षनाथ ने तपस्या की थी. चामुंडा माता के मंदिर के पास ही एक कलिका माता का मंदिर भी है तथा एक पानी का छोटा सा ताल भी समीप ही स्थित है.
कई साक्ष्यों के आधार पर यह सिद्ध होता है की प्राचीन समय में कई रजा तथा राजघराने इस मंदिर को भेंट भेजा करते रहें हैं जिनमें प्रमुख हैं प्रथ्विराज चौहान, उदैपुर के राणा,पेशवा महाराज तथा देवास रियासत के पंवार राजा.
चामुंडा माता मंदिर के दक्षिण में माता तुलजा भवानी (बड़ी माता) का मंदिर स्थित है जिसके गर्भगृह में माँ तुलजा भवानी की प्रतिमा स्थित है. माँ चामुंड तथा तुलजा भवानी दोनों बहनें हैं.
माता चामुंडा देवास रियासत के पंवार राजाओं की कुलदेवी है. अभी भी महाराष्ट्र के कई स्थानों से भक्त यहाँ आकर माता के दर्शनों का लाभ उठाते हैं.
शाम 6:30 तक का समय माता की टेकरी पर बिता कर हम अपने अगले पड़ाव उज्जैन की ओर अग्रसर हो गए. अब इस भाग को यहीं पर समाप्त करने की आज्ञा चाहता हूँ इस वादे के साथ की अगली कड़ी में आप लोगों को भगवान् महाकाल के दर्शन अवश्य कराऊँगा. तब तक के लिए हैप्पी घुमक्कड़ी.
कई दिनों से कोई धार्मिक यात्रा की योजना नहीं बन पाने की वजह से मन थोडा सा विचलित था अतः पत्नी तथा मैंने अपने नजदीक ही स्थित देवास तथा उज्जैन की एक संक्षिप्त यात्रा की योजना को अंतिम रूप दे ही दिया.
अपनी योजना के अनुसार हम अपनी शेवरोले स्पार्क कार से दिनांक 10 .11 .11 को सुबह आठ बजे देवास के लिए निकल पड़े तथा करीब 11 बजे देवास पहुँच गए.
देवास परिचय:
यह एक प्राचीन शहर है जो की मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में स्थित देवास जिले का मुख्यालय है. मध्य प्रदेश की प्रशासनिक राजधानी भोपाल यहाँ से करीब 160 किलोमीटर तथा व्यावसायिक राजधानी इंदौर यहाँ से मात्र ३५ किलोमीटर की दुरी पर स्थित है.
देवास दो शब्दों ‘देव’ तथा ‘वास’ से मिलकर बना है जिसका मतलब है देवों का वास अर्थात वह शहर जहाँ देवों का वास हो. देवास शहर धार्मिक, साहित्यिक, साहित्यिक, संस्कृतिक तथा ऐतिहासिक द्रष्टि से एक महत्वपूर्ण शहर है. यहाँ पर टाटा इंटरनेश्नल, रेनबेक्सी, एस कुमार्स, जोनसन पेडर तथा आयशर जैसे कई बड़े निजी क्षेत्र के उद्योग स्थित हैं. यहाँ पर भारत सरकारकी एक अति महत्वपूर्ण इकाई बैंक नोट प्रेस भी स्थित है जहाँ पर उच्च गुणवत्ता के बैंक नोट छपते हैं. भारतीय शास्त्रीय संगीत के मूर्धन्य कलाकार श्री कुमार गन्धर्व की कर्मस्थली देवास ही रही है.
मुख्य रूप से देवास, माता तुलजा भवानी तथा चामुंडा माता के मंदिर के लिए भारत भर में प्रसिद्ध है.
कैसे पहुंचें
बस द्वारा: देवास राष्ट्रीय राजमार्ग नं. 3 (आगरा बॉम्बे रोड) पर स्थित है तथा मध्य प्रदेश के प्रमुख शहरों से सड़क द्वारा जुड़ा हुआ है.
रेल द्वारा: देवास रेलवे स्टेशन एक जंक्शन है तथा भारत के के बड़े शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई तथा जयपुर आदि से रेल मार्ग से जुड़ा हुआ है.
हवाई मार्ग द्वारा: देवास का समीपस्थ हवाई अड्डा है देवी अहिल्या बाई होलकर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा इंदौर जो की देवास से 45 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है तथा भारत के कई मुख्य शहरों से हवाई मार्ग से जुड़ा है.
तो यह था एक संक्षिप्त परिचय देवास शहर से और आइये अब हम चलते है अपने यात्रा वृत्तान्त की ओर.
देवास पहुँच कर सर्वप्रथम हमने कैला माता के मंदिर के दर्शन करने का निश्चय किया. अपनी कार को मंदिर के बगल में स्थित पार्किंग ज़ोन में पार्क करके हम मंदिर में प्रवेश कर गए. यह मंदिर एक बड़े परिसर में स्थित है. मंदिर ज्यादा पुराना नहीं है तथा दक्षिण भारतीय शैली में निर्मित है. इस मंदिर का मुख्या आकर्षण यहाँ पर स्थित भगवान हनुमान की विशालकाय प्रतिमा है. परिसर में कैला माता के अति सुन्दर मंदिर के अलावा भगवान शिव का एक अति सुन्दर मंदिर तथा शनि नवगृह मंदिर भी है.
कैला माता मंदिर के आविस्मर्नीय दर्शनों के पश्चात हमने देवास के मुख्य आकर्षण माँ तुलजा भवानी तथा चामुंडा माता की टेकरी की और रुख किया.
जैसा की अक्सर होता है की माता के मंदिर हमेशा पहाड़ पर ही होते हैं इसीलिए माँ दुर्गा को पहाड़ों वाली माँ भी कहा जाता है . देवास में भी माता का मंदिर विन्ध्याचल पर्वत श्रेणी में स्थित एक शंकु के आकर के पर्वत पर स्थित है. स्थानीय लोग इस पहाड़ी को माता की टेकरी कहते हैं, यह टेकरी राष्ट्रीय राजमार्ग नं. 3 (आगरा बॉम्बे रोड) पर इंदौर से करीब 35 किलोमीटर की दुरी पर (भोपाल की ओर) स्थित है.
मंदिर पहुँचने के लिए मुख्या प्रवेश द्वार, रोड के ठीक किनारे पर स्थित है तथा प्रवेश द्वार से लेकर मुख्या मंदिर तक पत्थरों की सीढियाँ बनी हुई हैं तथा बीच बीच में विश्राम के लिए भी स्थानक बनाये गए हैं.
पहाड़ी के शीर्ष पर विपरीत दिशाओं में मंदिर स्थित हैं एक माता तुलजा भवानी (बड़ी माता ) का तथा दूसरा माँ चामुंडा ( छोटी माता) का. मार्ग में पहले चामुंडा माता का मंदिर आता है जहाँ पर एक गुफा में एक वृहद् शिला को तराश कर माता चामुंडा की छवि उकेरी गयी है जिनके दर्शन मात्र से चढ़ाई की साडी थकान छूमंतर हो जाती है.
माना जाता है की यह मंदिर महाराजा विक्रमादित्य के समय का है. टेकरी पर नाथ संप्रदाय के योगियों की शक्तिपीठ भी स्थित है. नाथ संप्रदाय के इतिहास के अनुसार यहाँ पर महर्षि भ्रतहरी जो की उज्जैन के महाराजा विक्रमादित्य के भाई थे तथा गुरु गोरक्षनाथ ने तपस्या की थी. चामुंडा माता के मंदिर के पास ही एक कलिका माता का मंदिर भी है तथा एक पानी का छोटा सा ताल भी समीप ही स्थित है.
कई साक्ष्यों के आधार पर यह सिद्ध होता है की प्राचीन समय में कई रजा तथा राजघराने इस मंदिर को भेंट भेजा करते रहें हैं जिनमें प्रमुख हैं प्रथ्विराज चौहान, उदैपुर के राणा,पेशवा महाराज तथा देवास रियासत के पंवार राजा.
चामुंडा माता मंदिर के दक्षिण में माता तुलजा भवानी (बड़ी माता) का मंदिर स्थित है जिसके गर्भगृह में माँ तुलजा भवानी की प्रतिमा स्थित है. माँ चामुंड तथा तुलजा भवानी दोनों बहनें हैं.
माता चामुंडा देवास रियासत के पंवार राजाओं की कुलदेवी है. अभी भी महाराष्ट्र के कई स्थानों से भक्त यहाँ आकर माता के दर्शनों का लाभ उठाते हैं.
शाम 6:30 तक का समय माता की टेकरी पर बिता कर हम अपने अगले पड़ाव उज्जैन की ओर अग्रसर हो गए. अब इस भाग को यहीं पर समाप्त करने की आज्ञा चाहता हूँ इस वादे के साथ की अगली कड़ी में आप लोगों को भगवान् महाकाल के दर्शन अवश्य कराऊँगा. तब तक के लिए हैप्पी घुमक्कड़ी.
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