सभी घुमक्कड़ साथियों को कविता का नमस्कार. एक लम्बे अंतराल के बाद
घुमक्कड़ पर कुछ लिखने का मन हुआ तो मैंने सोचा की क्यों न आप लोगों को
अपना शहर इंदौर घुमाया जाए, तो बस इंदौर के बारे में लिखने का मन पक्का कर
लिया, क्योंकि वैसे भी घुमक्कड़ पर मध्य प्रदेश की शान यानी इंदौर के बारे
में अब तक कुछ लिखा नहीं गया है.
वैसे हम लोग इंदौर से कुछ 30 किलोमीटर दूर रहते हैं फिर भी हफ्ते में एक दो बार इंदौर जाना हो ही जाता है, हर तरह की खरीदारी के लिए, मनोरंजन के लिए, रेलवे स्टेशन के लिए बच्चों के स्कूल आदि के लिए हमारा इंदौर आना जाना लगा ही रहता है. और वैसे भी इंदौर है ही इतना सुन्दर शहर की बस जब मन हुआ गाड़ी उठाई और चल दिए इंदौर की ओर.
काफी लम्बे समय से हम लोगों ने सिनेमा घर (थियेटर) में कोई पिक्चर नहीं देखी थी और बीते दिनों राउड़ी राठोड़ फिल्म का प्रचार भी बड़े जोर शोर से हो रहा था, तो हम सब आनेवाले संडे इंदौर जाकर राउड़ी राठोड़ देखने पर सर्वसम्मत हो गए. चूँकि इंदौर जा ही रहे थे और सन्डे होने से किसी बात की जल्दी भी नहीं थी तो कुछ खरीदारी और कुछ घुमने फिरने, कुछ मदिरों के दर्शन करने की योजना बना ली.
चूँकि दिनभर का प्रोग्राम था अतः सुबह जल्दी ही निकलने का मन बनाया था. बस फिर क्या था, मुकेश जी सुबह छः बजे उठते ही भिड़ गए अपनी स्पार्क (कार) को चमकाने में, बच्चों को हमारे इस कार्यक्रम की कोई जानकारी नहीं थी. सन्डे को बच्चों को स्कूल नहीं जाना होता है अतः वे देर तक सोने के मूड में होते हैं, जब मैंने संस्कृति एवं शिवम् को जगाना चाहा तो वे लोग उठने को बिलकुल तैयार नहीं थे और उन्होंने बिस्तर में से ही दो टुक जवाब दे दिया की हमें नहीं जाना इंदौर आप दोनों ही हो आओ. लेकिन जैसे ही मैंने कहा की आज पिक्चर भी देखेंगे तो दोनों फटाक से बिस्तर से बाहर आ गए और जाने के लिए तैयार होने लगे. वैसे इंदौर जाना बच्चों के लिए कोई विशेष बात नहीं थी लेकिन आज बड़े समय के बाद मूवी देखने का प्रोग्राम था इसलिए बच्चे कुछ ज्यादा ही उत्साहित थे. मुकेश जी की गाड़ी साफ़ होने तक हम सब तैयार थे, और करीब सात बजे हम सब निकल पड़े इंदौर के लिए.
हम लोगों के घर से इंदौर जाने के लिए हमें इंदौर – अहमदाबाद रोड से जाना होता है. इंदौर अहमदाबाद रोड पर अभी पिछले दो वर्षों से इसे फोर लेन रोड में परिवर्तीत करने का कार्य चल रहा है. हमारे घर से कुछ 10 किलोमीटर इंदौर के रास्ते रोड के एकदम किनारे पर एक बहुत ही सुन्दर सा हनुमान जी का मंदिर है, इस मंदिर में हमारी बहुत आस्था है, जब कभी भी हम इधर से गुजरते हैं चाहे बाइक पर हों या कार से, यहाँ रूककर हनुमान जी के दर्शन करके ही आगे बढ़ते हैं. जब हम कुछ दिन पहले इस रोड से गुजरे थे तब हमें पता चला था की यह मंदिर फोर लेन सड़क निर्माण की चपेट में आ रहा है और अब यह मंदिर टूटने वाला है. यह खबर सुनते ही हमारे तो होश ही उड़ गए थे, जिस आस्था के केंद्र पर हम बरसों तक अपना माथा टेकते हैं, एक दिन अचानक यह पता चले की अब यह टूटने वाला है तो सोचिये आप पर क्या गुजरेगी, यह खबर सुनने के बाद हमने उस मंदिर में दर्शन किये यह सोचकर की शायद आखरी बार दर्शन कर रहे हैं, पता नहीं कब यह मंदिर टूट जाए.
आज जब हम पुनः उस रास्ते से कुछ पंद्रह बीस दिन बाद गुजर रहे थे तो मंदिर आने से कुछ दुरी पहले ही मुकेश ने बड़े ही भावुक होकर कहा की अब मंदिर तो टूट चूका होगा. और जब हम मंदिर के करीब पहुंचे तो हमने वहां अपनी गाडी खड़ी कर दी. हमारे आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा जब हमने उस मंदिर के कुछ पंद्रह बीस फिट पीछे एक दम वैसा ही नया मंदिर देखा जो अभी निर्माणाधीन अवस्था में था, हम सब उस नए मंदिर को देखकर बहुत खुश हुए. कुछ ही देर में हमें सब समझ में आ गया की रोड निर्माण कम्पनी ने पुराने मंदिर को तोड़ने से पहले उसके पीछे एक सुन्दर सा नया मंदिर बनाने का निर्णय लिया है. यह देखकर बड़ा सुखद अनुभव हुआ की लोगों के दिलों में आज भी ईश्वर के प्रति प्रगाढ़ आस्था है.
खैर, गाड़ी के म्युज़िक सिस्टम में गाने सुनते सुनते कब एक घंटा हो गया और और हम कब इंदौर पहुँच गए पता ही नहीं चला. आइये अब मैं आपलोगों का इस सुन्दर शहर से एक छोटा सा परिचय करवाती हूँ.
भारतवर्ष के हृदयस्थल पर बसा है राज्य मध्य प्रदेश और मध्यप्रदेश के मालवा प्रान्त में स्थित है इंदौर जो मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा शहर है तथा करीब बीस लाख की जनसँख्या के साथ भारत के बड़े शहरों में चौदहवें क्रम पर विद्यमान है. इंदौर को एम.पी. की व्यावसायिक राजधानी भी कहा जाता है. इंदौर मध्य भारत का सबसे धनी तथा प्रगतिशील शहर है, इंदौर की प्रगतिशीलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की इंदौर भारत का एकमात्र शहर है जहाँ हमारे देश के दोनों विश्वस्तर के शिक्षण संस्थान IIM (भारतीय प्रबंध संस्थान) एवं IIT (भारतीय प्रौद्योगिक संस्थान) स्थित हैं. यहाँ की जीवनशैली मुंबई से मिलती जुलती होने के कारण इंदौर को यहाँ के स्थानीय निवासियों के द्वारा “मिनी मुंबई” के नाम से भी जाना जाता है.
भारतीय इतिहास की एक महान महिला शासिका रानी (देवी) अहिल्या बाई होलकर ने कई वर्षों तक इंदौर पर शासन किया है. वे इंदौर की महारानी थीं तथा उन्होंने अपने ससुर इंदौर के सूबेदार महाराजा मल्हार राव होलकर की मृत्यु के पश्चात सन 1767 से 1795 तक राज्य किया. बाद में देवी अहिल्या बाई ने अपनी राजधानी को इंदौर से महेश्वर स्थानांतरित कर दिया.
पहले इंदौर नगर का नाम इन्द्रेश्वर था, जो की शहर में स्थित राजा भोज के द्वारा निर्मित इन्द्रेश्वर महादेव मंदिर के नाम पर पड़ा. शहर का वर्तमान नाम इंदौर, इसके पुराने नाम इन्द्रेश्वर का ही बिगड़ा हुआ रूप है.
उस्ताद आमिर खान, जानी वाकर, लता मंगेशकर, एम. एफ. हुसैन, सलमान खान, स्वानंद किरकिरे, राहत इन्दौरी उन लोगों की लम्बी फेहरिस्त में से कुछ नाम हैं जिन्होंने इंदौर में जन्म लिया.
ये तो था एक छोटा सा परिचय इंदौर से अब आगे बढ़ते हैं हमारी यात्रा की ओर, आज छुट्टी का पूरा दिन हमें इंदौर में ही बिताना था और अब नाश्ते का समय हो चला था सो हमारे उदरों से भी हमें संकेत मिल रहे थे की सबसे पहले थोड़ी पेट पूजा की जाये फिर आगे बढ़ेंगे.
आपलोगों में से बहुत से लोग जानते होंगे की इंदौर में नाश्ते के तौर पर लोगों की पहली पसंद होती है पोहा जलेबी, और इंदौर में सुबह सात बजे से लेकर ग्यारह बजे तक हर गली नुक्कड़ पर, हर छोटे बड़े रेस्टोरेंट पर आपको पोहे का बड़ा सा कड़ाहा तथा गरमा गरम जलेबी बनती हुई दिखाई दे जायेगी और सोने पे सुहागे वाली बात यह है की हमारे मुकेश जी को भी पोहे दीवानगी की हद तक पसंद हैं. अगर इन्हें पोहे मिल जाएँ तो ये किसी और चीज़ की ओर देखना भी पसंद नहीं करते. करीब दो वर्ष पहले जब हम श्रीसैलम एवं तिरुपति की यात्रा के लिए आठ दस दिन के लिए आंध्र प्रदेश गए थे तो वहां कई दिनों तक लगातार इडली, संभार एवं डोसा, वडा खाकर मुकेश जी इतना उकता गए थे की आखिरी के दो दिन इन्होने खाना ही बंद कर दिया था और रट लगाए बैठे थे की अब तो भोपाल पहुंचकर पोहे ही खाऊंगा, और जब वापसी में हम भोपाल पहुंचे तो ट्रेन से उतरते ही इन्होने तीन प्लेट पोहे खाने के बाद ही दम लिया.
एक चुटकुला याद आ रहा है, एक बार इंदौर के एक अस्पताल में एक बच्चे ने जन्म लिया और पैदा होते ही उसने नर्स से पूछा की नाश्ते में क्या है? नर्स ने जवाब दिया पोहा जलेबी, यह सुनते ही बच्चा सर पकड़कर बोला………ओफ्फोह साला फिर इंदौर में पैदा हो गया.
तो ज़नाब, एक नुक्कड़ की दूकान से गरमा गरम पोहे जलेबी उदरस्थ करने के बाद अब हम बढ़ चले अपनी अगली मंजिल यानी उस माल की ओर जहाँ हमें PVR मल्टीप्लेक्स में मूवी देखनी थी और कुछ शौपिंग भी करनी थी. इंदौर में वैसे तो कई सारे छोटे बड़े मॉल्स हैं लेकिन उनमें सबसे लोकप्रिय एवं सबसे बड़ा माल है एम.जी. रोड पर स्थित “ट्रेज़र आईलेंड” और अपने नाम के मुताबिक सचमुच यह एक खजाना ही है और इंदौर की शान है.
ट्रेज़र आईलेंड के मुख्य आकर्षणों में Max Retail, PVR, McDonalds, Pizza Hut आदि हैं, और ये सब मध्य प्रदेश में सबसे पहले यहीं यानी इंदौर के ट्रेज़र आईलेंड में ही शुरू हुए. हर बजट को सूट करती हुई शौपिंग के लिए इंदौर में ट्रेज़र आईलेंड से बढ़कर और कोई जगह नहीं है. इंदौर के युवाओं की तो यह जगह पहली पसंद है. लैंडमार्क ग्रुप ने भारत में अपने पहले रिटेल स्टोर की शुरुआत ट्रेज़र आईलेंड इंदौर से ही की थी. यह मॉल नॉएडा तथा गुडगाँव के मॉल्स की टक्कर का है. सभी उम्दा ब्रांड्स के शोरूम्स से सजे धजे इस मॉल में स्टेट ऑफ़ आर्ट एस्केलेटर्स भी लगे हैं. यह इंदौर ही नहीं समूचे मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा मॉल है. इंदौर के लोगों के लिए तो ट्रेज़र आईलेंड किसी टूरिस्ट स्पॉट से कम नहीं है.
कुछ देर मॉल में घुमने और थोड़ी बहुत शौपिंग करने के बाद करीब दस बजे हम कुछ पोपकोर्न्स के पेकेट वगैरह साथ में लेकर हम PVR में राउड़ी राठोड मूवी देखने के लिए घुस गए. जब हम मूवी देखकर बाहर निकले तो हम सब के चेहरों की मुस्कान देखने लायक थी, हम सब अति प्रसन्न थे क्योंकि यह फिल्म थी ही इतनी मनोरंजक.
मूवी देखने के बाद अब बारी थी कुछ पेट पूजा की सो मॉल में ही स्थित एक रेस्टोरेंट से कुछ चाइनीज़ व्यंजन खाने के बाद हमने आइसक्रीम का आनंद लिया. कुछ बच्चों के लिए तथा कुछ अपने लिए खरीदारी करने के बाद करीब ढाई बजे हम ट्रेज़र आईलेंड से बाहर निकल आये……………
आज के लिए बस इतना ही, आगे की कहानी सुनाने के लिए एवं आपको इंदौर के और भी नज़ारे के दिखाने के लिए ज़ल्दी ही लौट कर आउंगी इस श्रंखला के अगले भाग के साथ…………….
वैसे हम लोग इंदौर से कुछ 30 किलोमीटर दूर रहते हैं फिर भी हफ्ते में एक दो बार इंदौर जाना हो ही जाता है, हर तरह की खरीदारी के लिए, मनोरंजन के लिए, रेलवे स्टेशन के लिए बच्चों के स्कूल आदि के लिए हमारा इंदौर आना जाना लगा ही रहता है. और वैसे भी इंदौर है ही इतना सुन्दर शहर की बस जब मन हुआ गाड़ी उठाई और चल दिए इंदौर की ओर.
काफी लम्बे समय से हम लोगों ने सिनेमा घर (थियेटर) में कोई पिक्चर नहीं देखी थी और बीते दिनों राउड़ी राठोड़ फिल्म का प्रचार भी बड़े जोर शोर से हो रहा था, तो हम सब आनेवाले संडे इंदौर जाकर राउड़ी राठोड़ देखने पर सर्वसम्मत हो गए. चूँकि इंदौर जा ही रहे थे और सन्डे होने से किसी बात की जल्दी भी नहीं थी तो कुछ खरीदारी और कुछ घुमने फिरने, कुछ मदिरों के दर्शन करने की योजना बना ली.
चूँकि दिनभर का प्रोग्राम था अतः सुबह जल्दी ही निकलने का मन बनाया था. बस फिर क्या था, मुकेश जी सुबह छः बजे उठते ही भिड़ गए अपनी स्पार्क (कार) को चमकाने में, बच्चों को हमारे इस कार्यक्रम की कोई जानकारी नहीं थी. सन्डे को बच्चों को स्कूल नहीं जाना होता है अतः वे देर तक सोने के मूड में होते हैं, जब मैंने संस्कृति एवं शिवम् को जगाना चाहा तो वे लोग उठने को बिलकुल तैयार नहीं थे और उन्होंने बिस्तर में से ही दो टुक जवाब दे दिया की हमें नहीं जाना इंदौर आप दोनों ही हो आओ. लेकिन जैसे ही मैंने कहा की आज पिक्चर भी देखेंगे तो दोनों फटाक से बिस्तर से बाहर आ गए और जाने के लिए तैयार होने लगे. वैसे इंदौर जाना बच्चों के लिए कोई विशेष बात नहीं थी लेकिन आज बड़े समय के बाद मूवी देखने का प्रोग्राम था इसलिए बच्चे कुछ ज्यादा ही उत्साहित थे. मुकेश जी की गाड़ी साफ़ होने तक हम सब तैयार थे, और करीब सात बजे हम सब निकल पड़े इंदौर के लिए.
हम लोगों के घर से इंदौर जाने के लिए हमें इंदौर – अहमदाबाद रोड से जाना होता है. इंदौर अहमदाबाद रोड पर अभी पिछले दो वर्षों से इसे फोर लेन रोड में परिवर्तीत करने का कार्य चल रहा है. हमारे घर से कुछ 10 किलोमीटर इंदौर के रास्ते रोड के एकदम किनारे पर एक बहुत ही सुन्दर सा हनुमान जी का मंदिर है, इस मंदिर में हमारी बहुत आस्था है, जब कभी भी हम इधर से गुजरते हैं चाहे बाइक पर हों या कार से, यहाँ रूककर हनुमान जी के दर्शन करके ही आगे बढ़ते हैं. जब हम कुछ दिन पहले इस रोड से गुजरे थे तब हमें पता चला था की यह मंदिर फोर लेन सड़क निर्माण की चपेट में आ रहा है और अब यह मंदिर टूटने वाला है. यह खबर सुनते ही हमारे तो होश ही उड़ गए थे, जिस आस्था के केंद्र पर हम बरसों तक अपना माथा टेकते हैं, एक दिन अचानक यह पता चले की अब यह टूटने वाला है तो सोचिये आप पर क्या गुजरेगी, यह खबर सुनने के बाद हमने उस मंदिर में दर्शन किये यह सोचकर की शायद आखरी बार दर्शन कर रहे हैं, पता नहीं कब यह मंदिर टूट जाए.
आज जब हम पुनः उस रास्ते से कुछ पंद्रह बीस दिन बाद गुजर रहे थे तो मंदिर आने से कुछ दुरी पहले ही मुकेश ने बड़े ही भावुक होकर कहा की अब मंदिर तो टूट चूका होगा. और जब हम मंदिर के करीब पहुंचे तो हमने वहां अपनी गाडी खड़ी कर दी. हमारे आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा जब हमने उस मंदिर के कुछ पंद्रह बीस फिट पीछे एक दम वैसा ही नया मंदिर देखा जो अभी निर्माणाधीन अवस्था में था, हम सब उस नए मंदिर को देखकर बहुत खुश हुए. कुछ ही देर में हमें सब समझ में आ गया की रोड निर्माण कम्पनी ने पुराने मंदिर को तोड़ने से पहले उसके पीछे एक सुन्दर सा नया मंदिर बनाने का निर्णय लिया है. यह देखकर बड़ा सुखद अनुभव हुआ की लोगों के दिलों में आज भी ईश्वर के प्रति प्रगाढ़ आस्था है.
खैर, गाड़ी के म्युज़िक सिस्टम में गाने सुनते सुनते कब एक घंटा हो गया और और हम कब इंदौर पहुँच गए पता ही नहीं चला. आइये अब मैं आपलोगों का इस सुन्दर शहर से एक छोटा सा परिचय करवाती हूँ.
भारतवर्ष के हृदयस्थल पर बसा है राज्य मध्य प्रदेश और मध्यप्रदेश के मालवा प्रान्त में स्थित है इंदौर जो मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा शहर है तथा करीब बीस लाख की जनसँख्या के साथ भारत के बड़े शहरों में चौदहवें क्रम पर विद्यमान है. इंदौर को एम.पी. की व्यावसायिक राजधानी भी कहा जाता है. इंदौर मध्य भारत का सबसे धनी तथा प्रगतिशील शहर है, इंदौर की प्रगतिशीलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की इंदौर भारत का एकमात्र शहर है जहाँ हमारे देश के दोनों विश्वस्तर के शिक्षण संस्थान IIM (भारतीय प्रबंध संस्थान) एवं IIT (भारतीय प्रौद्योगिक संस्थान) स्थित हैं. यहाँ की जीवनशैली मुंबई से मिलती जुलती होने के कारण इंदौर को यहाँ के स्थानीय निवासियों के द्वारा “मिनी मुंबई” के नाम से भी जाना जाता है.
भारतीय इतिहास की एक महान महिला शासिका रानी (देवी) अहिल्या बाई होलकर ने कई वर्षों तक इंदौर पर शासन किया है. वे इंदौर की महारानी थीं तथा उन्होंने अपने ससुर इंदौर के सूबेदार महाराजा मल्हार राव होलकर की मृत्यु के पश्चात सन 1767 से 1795 तक राज्य किया. बाद में देवी अहिल्या बाई ने अपनी राजधानी को इंदौर से महेश्वर स्थानांतरित कर दिया.
पहले इंदौर नगर का नाम इन्द्रेश्वर था, जो की शहर में स्थित राजा भोज के द्वारा निर्मित इन्द्रेश्वर महादेव मंदिर के नाम पर पड़ा. शहर का वर्तमान नाम इंदौर, इसके पुराने नाम इन्द्रेश्वर का ही बिगड़ा हुआ रूप है.
उस्ताद आमिर खान, जानी वाकर, लता मंगेशकर, एम. एफ. हुसैन, सलमान खान, स्वानंद किरकिरे, राहत इन्दौरी उन लोगों की लम्बी फेहरिस्त में से कुछ नाम हैं जिन्होंने इंदौर में जन्म लिया.
ये तो था एक छोटा सा परिचय इंदौर से अब आगे बढ़ते हैं हमारी यात्रा की ओर, आज छुट्टी का पूरा दिन हमें इंदौर में ही बिताना था और अब नाश्ते का समय हो चला था सो हमारे उदरों से भी हमें संकेत मिल रहे थे की सबसे पहले थोड़ी पेट पूजा की जाये फिर आगे बढ़ेंगे.
आपलोगों में से बहुत से लोग जानते होंगे की इंदौर में नाश्ते के तौर पर लोगों की पहली पसंद होती है पोहा जलेबी, और इंदौर में सुबह सात बजे से लेकर ग्यारह बजे तक हर गली नुक्कड़ पर, हर छोटे बड़े रेस्टोरेंट पर आपको पोहे का बड़ा सा कड़ाहा तथा गरमा गरम जलेबी बनती हुई दिखाई दे जायेगी और सोने पे सुहागे वाली बात यह है की हमारे मुकेश जी को भी पोहे दीवानगी की हद तक पसंद हैं. अगर इन्हें पोहे मिल जाएँ तो ये किसी और चीज़ की ओर देखना भी पसंद नहीं करते. करीब दो वर्ष पहले जब हम श्रीसैलम एवं तिरुपति की यात्रा के लिए आठ दस दिन के लिए आंध्र प्रदेश गए थे तो वहां कई दिनों तक लगातार इडली, संभार एवं डोसा, वडा खाकर मुकेश जी इतना उकता गए थे की आखिरी के दो दिन इन्होने खाना ही बंद कर दिया था और रट लगाए बैठे थे की अब तो भोपाल पहुंचकर पोहे ही खाऊंगा, और जब वापसी में हम भोपाल पहुंचे तो ट्रेन से उतरते ही इन्होने तीन प्लेट पोहे खाने के बाद ही दम लिया.
एक चुटकुला याद आ रहा है, एक बार इंदौर के एक अस्पताल में एक बच्चे ने जन्म लिया और पैदा होते ही उसने नर्स से पूछा की नाश्ते में क्या है? नर्स ने जवाब दिया पोहा जलेबी, यह सुनते ही बच्चा सर पकड़कर बोला………ओफ्फोह साला फिर इंदौर में पैदा हो गया.
तो ज़नाब, एक नुक्कड़ की दूकान से गरमा गरम पोहे जलेबी उदरस्थ करने के बाद अब हम बढ़ चले अपनी अगली मंजिल यानी उस माल की ओर जहाँ हमें PVR मल्टीप्लेक्स में मूवी देखनी थी और कुछ शौपिंग भी करनी थी. इंदौर में वैसे तो कई सारे छोटे बड़े मॉल्स हैं लेकिन उनमें सबसे लोकप्रिय एवं सबसे बड़ा माल है एम.जी. रोड पर स्थित “ट्रेज़र आईलेंड” और अपने नाम के मुताबिक सचमुच यह एक खजाना ही है और इंदौर की शान है.
ट्रेज़र आईलेंड के मुख्य आकर्षणों में Max Retail, PVR, McDonalds, Pizza Hut आदि हैं, और ये सब मध्य प्रदेश में सबसे पहले यहीं यानी इंदौर के ट्रेज़र आईलेंड में ही शुरू हुए. हर बजट को सूट करती हुई शौपिंग के लिए इंदौर में ट्रेज़र आईलेंड से बढ़कर और कोई जगह नहीं है. इंदौर के युवाओं की तो यह जगह पहली पसंद है. लैंडमार्क ग्रुप ने भारत में अपने पहले रिटेल स्टोर की शुरुआत ट्रेज़र आईलेंड इंदौर से ही की थी. यह मॉल नॉएडा तथा गुडगाँव के मॉल्स की टक्कर का है. सभी उम्दा ब्रांड्स के शोरूम्स से सजे धजे इस मॉल में स्टेट ऑफ़ आर्ट एस्केलेटर्स भी लगे हैं. यह इंदौर ही नहीं समूचे मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा मॉल है. इंदौर के लोगों के लिए तो ट्रेज़र आईलेंड किसी टूरिस्ट स्पॉट से कम नहीं है.
कुछ देर मॉल में घुमने और थोड़ी बहुत शौपिंग करने के बाद करीब दस बजे हम कुछ पोपकोर्न्स के पेकेट वगैरह साथ में लेकर हम PVR में राउड़ी राठोड मूवी देखने के लिए घुस गए. जब हम मूवी देखकर बाहर निकले तो हम सब के चेहरों की मुस्कान देखने लायक थी, हम सब अति प्रसन्न थे क्योंकि यह फिल्म थी ही इतनी मनोरंजक.
मूवी देखने के बाद अब बारी थी कुछ पेट पूजा की सो मॉल में ही स्थित एक रेस्टोरेंट से कुछ चाइनीज़ व्यंजन खाने के बाद हमने आइसक्रीम का आनंद लिया. कुछ बच्चों के लिए तथा कुछ अपने लिए खरीदारी करने के बाद करीब ढाई बजे हम ट्रेज़र आईलेंड से बाहर निकल आये……………
आज के लिए बस इतना ही, आगे की कहानी सुनाने के लिए एवं आपको इंदौर के और भी नज़ारे के दिखाने के लिए ज़ल्दी ही लौट कर आउंगी इस श्रंखला के अगले भाग के साथ…………….
Take a have a look at our listing of online casinos accepting gamers from 카지노사이트 this nation here
ReplyDelete