सभी घुमक्कड़ साथियों को कविता की ओर से ………ॐ
नमः शिवाय……….इस श्रंखला की पिछली पोस्ट में मैंने आपलोगों को भगवान श्री
कृष्ण की नगरी द्वारका का परिचय करवाया. और आइये अब मैं आपलोगों को लेकर
चलती हूँ श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग जो की द्वारका से ही लगा हुआ है…….
जैसा की आपलोग जानते हैं की द्वारका से करीब
16 किलोमीटर की दुरी पर भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक श्री
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है, द्वारका के आसपास स्थित दर्शनीय स्थलों के
दर्शन के लिए जो बस चलती है वही बस रुक्मणि मंदिर के दर्शन के बाद
यात्रियों को नागेश्वर ज्योतिर्लिंग लेकर जाती है तथा वहां से गोपी तालाब
होते हुए बेट द्वारका जाती है. हमने भी बेट द्वारका सहित अन्य स्थलों के
दर्शनों के लिए बस में बुकिंग करवाई थी (जिसका वर्णन मैंने अपनी पिछली
पोस्ट में किया है). सारे सहयात्रियों के साथ पहले दिन हमने भी नागेश्वर के
दर्शन किये लेकिन यह बस यहाँ सिर्फ 15 मिनट के लिए रुकी थी और हम जैसे शिव
भक्तों के लिए ज्योतिर्लिंग मंदिर दर्शन के लिए यह समय पर्याप्त नहीं था
अतः अगले दिन हमने अलग से नागेश्वर मंदिर आने की योजना बना ली.
अगले दिन सुबह से हम लोग नहा धोकर होटल से निकल गए और निचे चौराहे पर आकर ऑटो वालों से नागेश्वर जाने के लिए बात की. हमने 200 रु. में नागेश्वर के लिए ऑटो तय कर लिया तथा करीब 10 बजे नागेश्वर के लिए निकल पड़े. सुबह का समय था मौसम भी अच्छा था, और उस पर ऑटो रिक्शा की सवारी…………….इस पंद्रह किलोमीटर के सफ़र में मज़ा आ गया. मुझे ऑटो रिक्शा की सवारी बड़ी अच्छी लगती है क्योंकि यह तीन तरफ से खुला रहता है, प्राकृतिक हवा आती है और बाहर देखने के लिए भी सुविधाजनक होता है.
अगले दिन सुबह से हम लोग नहा धोकर होटल से निकल गए और निचे चौराहे पर आकर ऑटो वालों से नागेश्वर जाने के लिए बात की. हमने 200 रु. में नागेश्वर के लिए ऑटो तय कर लिया तथा करीब 10 बजे नागेश्वर के लिए निकल पड़े. सुबह का समय था मौसम भी अच्छा था, और उस पर ऑटो रिक्शा की सवारी…………….इस पंद्रह किलोमीटर के सफ़र में मज़ा आ गया. मुझे ऑटो रिक्शा की सवारी बड़ी अच्छी लगती है क्योंकि यह तीन तरफ से खुला रहता है, प्राकृतिक हवा आती है और बाहर देखने के लिए भी सुविधाजनक होता है.
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर जिस जगह पर बना
है वहां कोई गाँव या बसाहट नहीं है, यह मंदिर सुनसान तथा वीरान जगह पर बना
है, निकटस्थ शहर द्वारका ही है जो यहाँ से पंद्रह किलोमीटर दूर है. शिव
महापुराण के द्वादाश्ज्योतिर्लिंग स्तोत्रं के अनुसार नागेशं दारुकावने अर्थात नागेश्वर जो द्वारका के समीप वन में स्थित है.
यहाँ पर मंदिर परिसर में भगवान शिव की पद्मासन
मुद्रा में एक विशालकाय मूर्ति भी स्थित है जो यहाँ का मुख्य आकर्षण है.
इस मूर्ति के आसपास पक्षियों का झुण्ड मंडराते रहता है तथा भक्तगण यहाँ
पक्षियों के लिए अन्न के दाने भी डालते है जो यहीं मंदिर परिसर से ही
ख़रीदे जा सकते हैं.
शिव की विशाल मूर्ति बहुत दूर रोड से ही दिखाई
देने लग जाती है, यह मूर्ति बहुत ही सुंदर है तथा भक्तों का मन मोह लेती
है. द्वारका से करीब 45 मिनट में हम नागेश्वर पहुँच गए. मंदिर पहुँच कर
सबसे पहले हमने ज्योतिर्लिंग के दर्शन किये, भीड़ लगभग न के बराबर थी अतः
हमें दर्शनों में बिलकुल भी मुश्किल नहीं आई. दर्शन के बाद अब हमें यहाँ पर
अभिषेक करना था अतः हमने मंदिर समिति से जानकारी ली और 250 रु. जमा करवा
कर रूद्र अभिषेक के लिए पर्ची ले ली. यहाँ पर गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति
सिर्फ उन्ही श्रद्धालुओं को होती है जो अभिषेक करवाते हैं.
मंदिर के नियमों के अनुसार गर्भगृह में प्रवेश
से पहले भक्त को अपने वस्त्र उतार कर समीप ही स्थित एक कक्ष में जहाँ
धोतियाँ रखी होती हैं, जाकर धोती पहननी होती है उसके बाद ही गर्भगृह में
प्रवेश किया जा सकता है. चूँकि उस समय मंदिर में ज्यादा भीड़ नहीं थी अतः
हमने खूब अच्छे से ज्योतिर्लिंग का पंचामृत, दूध तथा जल से अभिषेक किया.
अभिषेक के बाद भी बहुत देर तक गर्भगृह में हम ज्योतिर्लिंग के सामने बैठे
रहे. मैं हमेशा ज्योतिर्लिंग यात्रा पर जाते समय अपना पूजा का आसन तथा
रुद्राक्ष की माला साथ में रख लेती हूँ, यहाँ भी मैंने अपना यह सामान
निकाला और रुद्राक्ष की माला से ॐ नमः शिवाय का जाप करने बैठ गई. हमारा
भक्ति भाव देख कर मंदिर के मुख्य पुजारी जी बहुत प्रसन्न हुए तथा उन्होंने
आशीर्वाद स्वरुप मुझे ज्योतिर्लिंग पर चढ़ा एक चांदी का बेलपत्र दिया जिसे
पाकर मैं इतनी खुश हुई की बता नहीं सकती.
यहाँ की एक और विशेषता है की यहाँ पर अभिषेक सिर्फ गंगाजल से ही होता है, तथा अभिषेक करने वाले भक्तों को मंदिर समिति की ओर से गंगाजल निशुल्क मिलता है.
अभिषेक के बाद हम प्रसाद लेकर मंदिर से बाहर आ गए, बाहर आकर शिव जी की उस विशाल प्रतिमा के सामने हमने भी बहुत देर तक पक्षियों को दाना चुगाया तथा फोटोग्राफी की.
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग एक परिचय:
यहाँ की एक और विशेषता है की यहाँ पर अभिषेक सिर्फ गंगाजल से ही होता है, तथा अभिषेक करने वाले भक्तों को मंदिर समिति की ओर से गंगाजल निशुल्क मिलता है.
अभिषेक के बाद हम प्रसाद लेकर मंदिर से बाहर आ गए, बाहर आकर शिव जी की उस विशाल प्रतिमा के सामने हमने भी बहुत देर तक पक्षियों को दाना चुगाया तथा फोटोग्राफी की.
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग एक परिचय:
गुजरात राज्य के जामनगर जिले में स्थित
प्रसिद्ध तीर्थ स्थान द्वारका धाम से लगभग 16 किलोमीटर की दुरी पर स्थित
नागेश्वर, भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से दसवें क्रम के
ज्योतिर्लिंग के रूप में विश्व भर में प्रसिद्द है. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग
के स्थान को लेकर भक्तों में मतैक्य नहीं है. कुछ लोग मानते हैं की यह
ज्योतिर्लिग महाराष्ट्र के हिंगोली जिले में स्थित औंढा नागनाथ नामक जगह पर
है, वहीँ अन्य लोगों का मानना है की यह ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड राज्य के
अल्मोड़ा के समीप जागेश्वर नामक जगह पर स्थित है, इन सारे मतभेदों के
बावजूद तथ्य यह है की प्रति वर्ष लाखों की संख्या में भक्त गुजरात में
द्वारका के समीप स्थित नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में दर्शन, पूजन और
अभिषेक के लिए आते हैं.
नागेश्वर मंदिर:
नागेश्वर के वर्तमान मंदिर का पुनर्निर्माण,
सूपर केसेट्स इंडस्ट्री के मालिक स्वर्गीय श्री गुलशन कुमार ने करवाया था.
उन्होंने इस जीर्णोद्धार का कार्य 1996 में शुरू करवाया, तथा इस बीच उनकी
हत्या हो जाने के कारण उनके परिवार ने इस मंदिर का कार्य पूर्ण करवाया.
मंदिर निर्माण में लगभग 1.25 करोड़ की लागत आई जिसे गुलशन कुमार चेरिटेबल
ट्रस्ट ने अदा किया. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के परिसर में भगवान शिव की
ध्यान मुद्रा में एक बड़ी ही मनमोहक अति विशाल प्रतिमा है जिसकी वजह से यह
मंदिर को दो किलोमीटर की दुरी से ही दिखाई देने लगता है, यह मूर्ति 125 फीट
ऊँची तथा 25 फीट चौड़ी है. मुख्य द्वार साधारण लेकिन सुन्दर है. मंदिर में
पहले एक सभाग्रह है, जहाँ पूजन सामग्री की छोटी छोटी दुकानें लगी हुई हैं.
सभामंड़प के आगे तलघर नुमा गर्भगृह में श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग
स्थापित है.
गर्भगृह:
गर्भगृह सभामंड़प से निचले स्तर पर स्थित है,
ज्योतिर्लिंग मध्यम बड़े आकार का है जिसके ऊपर एक चांदी का आवरण चढ़ा रहता
है. ज्योतिर्लिंग पर ही एक चांदी के नाग की आकृति बनी हुई है. ज्योतिर्लिंग
के पीछे माता पार्वती की मूर्ति स्थापित है. गर्भगृह में पुरुष भक्त सिर्फ
धोती पहन कर ही प्रवेश कर सकते हैं, वह भी तभी जब उन्हें अभिषेक करवाना
है.
मंदिर समय सारणी:
मंदिर सुबह पांच बजे प्रातः आरती के साथ खुलता
है, आम जनता के लिए मंदिर छः बजे सुबह खुलता है. भक्तों के लिए शाम चार
बजे श्रृंगार दर्शन होता है तथा उसके बाद गर्भगृह में प्रवेश बंद हो जाता
है. शयन आरती शाम सात बजे होती है तथा रात नौ बजे मंदिर बंद हो जाता है.
विभिन्न पूजाएँ:
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में मंदिर
प्रबंधन समिति के द्वारा भक्तों की सुविधा के लिए रु. 105 से लेकर रु. 2101
के बीच विभिन्न प्रकार की पूजाएँ सशुल्क सम्पन्न कराई जाती हैं. जिन
भक्तों को पूजन अभिषेक करवाना होता है, उन्हें मंदिर के पूजा काउंटर पर
शुल्क जमा करवाकर रसीद प्राप्त करनी होती है, तत्पश्चात मंदिर समिति भक्त
के साथ एक पुरोहित को अभिषेक के लिए भेजती है जो भक्त को लेकर गर्भगृह में
लेकर जाता है तथा शुल्क के अनुसार पूजा करवाता है.
रहने की व्यवस्था तथा परिवहन:
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर ओखा तथा द्वारका
के बीचोबीच स्थित है. वीरान जगह पर स्थित होने की वजह से यहाँ ठहरने की कोई
व्यवस्था उपलब्ध नहीं है, अतः यात्रियों को द्वारका या ओखा में ही ठहरना
होता है. द्वारका से नागेश्वर के लिए आवागमन के साधन में ऑटो रिक्शा सबसे
सुलभ है. ऑटो रिक्शा का किराया द्वारका-नागेश्वर-द्वारका की राउंड ट्रिप के
लिए लगभग 250 रुपये है.
दोपहर तक हम नागेश्वर से वापस द्वारका अपने होटल आ गए, कुछ देर आराम किया और फिर से भगवान द्वारकाधीश के दर्शन के लिए द्वारकाधीश मंदिर चले आये, लाइन में लगे और कुछ ही देर में हमें फिर भगवान द्वारकाधीश के दर्शन बहुत अच्छे से हो गए. कई बार बच्चे मंदिर में लाइन में लगने से न नुकुर करते हैं तो मैं और मुकेश उन्हें समझाते हैं की हम लोग इतनी दूर क्यों आते है? भगवान के दर्शन के लिए ही न तो फिर जितनी बार और जितनी देर दर्शन का मौका मिले करना चाहिए.
अगले दिन सुबह हमारा राजकोट से उज्जैन के लिए ट्रेन में रिजर्वेशन था, अतः सुबह करीब छः बजे ही हम द्वारका से बस में राजकोट के लिए बैठ गए. और अंततः राजकोट से उज्जैन होते हुए अपने घर वापस आ गए.
इस तरह से हमारी सोमनाथ द्वारका की यह यात्रा
कई सारी सुखद स्म्रतियों के साथ संपन्न हुई. अब अगली बार फिर किसी और
यात्रा के अनुभवों के साथ उपस्थित होउंगी घुमक्कड़ पर…………….लेकिन तब तक के
लिए …………बाय ………हैप्पी घुमक्कड़ी.
hmko bhi jana :-(
ReplyDeleteBhut Badiya trike se Aapne apni yatra ka vivran Diya h Padh Bhut Accha lga mano hm bi Aapk Sath is yatra me shamil h. Thanks for sharing
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ReplyDeleteHello Admin
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