Friday, 27 July 2012

महालक्ष्मी मंदिर, मुंबई /Mahalakshmi Temple, Mumbai


जय महालक्ष्मी माँ
पिछली पोस्ट में मैंने आपको बताया था की किस तरह से हम सुबह से महालक्ष्मी मंदिर के दर्शनों के लिए निकले थे और गुडी पड़वा का त्यौहार होने की वजह से अत्यंत भीड़ थी और हमने हाजी अली दरगाह की ओर रुख कर लिया था. अगले दिन फिर सुबह से हम सब तैयार होकर निकल पड़े महालक्ष्मी देवी के दर्शन के लिए.
सुबह का समय था और आज अपेक्षाकृत भीड़ भी बहुत कम थी अतः हमें मंदिर में पहुँचने तथा दर्शन में बहुत कम समय लगा. मंदिर बहुत ही सुन्दर है, एक बात मंदिर परिसर की जो मुझे बहुत अच्छी लगी वो थी मंदिर परिसर में सभामंड़प के ठीक सामने बैठकर दो तीन लोग शहनाई पर बड़ी अच्छी धुन बजा रहे थे, इतना सुन्दर संगीत की बस सुनते ही रहने का मन कर रहा था.



दूर से दिखाई देता महालक्ष्मी मंदिर तथा हाजी अली पहुँचने का जलमार्ग

महालक्ष्मी मंदिर के ठीक सामने

मंदिर के सामने सजी दुकानें

मंदिर की सीढियों पर

मंदिर के सामनेवाली गली

मंदिर के सामनेवाली गली
चलिए अब इस अद्भुत मंदिर के बारे में आपको थोड़ी जानकारी देता हूँ.
महालक्ष्मी मंदिरएक परिचय:
महालक्ष्मी मंदिर मुंबई का एक बहुत प्रसिद्द मंदिर है जो की भुलाभाई देसाई मार्ग पर स्थित है और महालक्ष्मी देवी को समर्पित है. मंदिर का निर्माण सन 1831 में धाक जी दादाजी नाम के एक हिन्दू व्यापारी ने करवाया था.
इस मंदिर के इतिहास को वरली तथा मालाबार हिल (वह क्षेत्र जिसे आज हम ब्रीच केंडी कहते हैं) को जोड़ने के निर्माण कार्य से जोड़ा जाता है, जब यह निर्माण कार्य चल रहा था तब दोनों क्षेत्रों को जोड़ने वाली दिवार बार बार ढह रही थी. ब्रिटिश इंजीनियरों के सारे प्रयास बेकार जा रहे थे, तब प्रोजेक्ट के चीफ इंजिनियर (जो की भारतीय थे) को सपने में महालक्ष्मी माता ने दर्शन दिए और कहा की वरली के पास समुद्र में तुम्हे मेरी  मूर्ति दिखाई देगी. माता के निर्देशानुसार खोज करने पर यह मूर्ति उन्हें उसी जगह मिल गई जहाँ माता ने निर्देशित किया था, इस आश्चर्यजनक घटना के बाद चीफ इंजिनियर ने इसी जगह पर एक छोटे से मंदिर का निर्माण करवाया और उसके बाद यह निर्माण कार्य बड़ी आसानी से संपन्न हो गया.
यह मंदिर हाजी अली दरगाह के एकदम समीप वरली के समुद्र तट पर स्थित है, हाजी अली दरगाह से महालक्ष्मी मंदिर को देखा जा सकता है. समुद्र के किनारे बसा होने की वजह से मंदिर की सुन्दरता और बढ़ जाती है.
मंदिर के अन्दर देवी महालक्ष्मी, देवी महाकाली और देवी महासरस्वती की प्रतिमाएं स्थित हैं. तीनों ही मूर्तियाँ नाक में नथ, सोने की चूड़ियाँ और मोती के हार से सुसज्जित हैं. महालक्ष्मी माता की मूर्ति में माता को शेर पर सवार होकर महिसासुर का वध करते हुए दिखाया गया है.
मंदिर कम्पाउंड में हार, फुल, चुनर प्रसाद, मिठाई आदि की बहुत सी दुकानें हैं, इन सामग्रियों को देवी के भक्त खरीद कर माता को अर्पित करते हैं. नवरात्री में मंदिर को बहुत अच्छे तरीके से सजाया जाता है तथा  दूर दूर से भक्त आ कर माता के दरबार में माथा टेकते हैं . नवरात्री के दौरान मंदिर में बहुत लम्बी लाइन लगती है तथा दर्शन के लिए भक्तों को घंटों प्रतीक्षा करी पड़ती है.
महालक्ष्मी मंदिर के बारे में बचपन से ही सुनते चले आ रहे थे लेकिन कभी मुंबई आने का योग नहीं हुआ अतः इस मंदिर के दर्शनों की अभिलाषा मन में ही रह गई थी. महालक्ष्मी माता हमारी कुलदेवी हैं अतः उनके दर्शन करना हमारे लिए और भी सौभाग्य की बात थी.

महालक्ष्मी मंदिर प्रवेश द्वार

महालक्ष्मी मंदिर प्रवेश द्वार

मंदिर का मुख्य द्वार
मंदिर सुबह 6 बजे खुलता है तथा रात 10 बजे बंद होता है. तीनों माताओं के असली स्वरुप सोने के मुखौटों से ढंके रहते हैं. बहुत कम लोग जानते हैं की इस मंदिर में विराजमान देवी महालक्ष्मी की मूर्ती स्वम्भू है, वास्तविक मूर्ती को बहुत कम लोग देख पाते हैं, असली मूर्ती के दर्शन करने के लिए आपको रात में लगभग 9:30 बजे मंदिर में जाना होगा, इस समय मूर्तियों पर से आवरण हटा दिया जाता है तथा 10 से 15 मिनट के लिए भक्तों के दर्शन के लिए मूर्तियों को खुला ही रखा जाता है और उसके बाद मंदिर बंद हो जाता है. सुबह 6 बजे मंदिर खुलने के साथ ही माता का अभिषेक किया जाता है तथा उसके तत्काल बाद ही मूर्तियों के ऊपर फिर से आवरण चढ़ा दिए जाते हैं.
हमने तो माता के दर्शन आवरण सहित ही किये क्योंकि स्वम्भू मूर्ति के दर्शन का समय हमारे समय से मेच नहीं हो रहा था. इस सुन्दर मंदिर के दर्शनों के बाद तथा माता का आशीर्वाद प्राप्त करके हम मंदिर से बाहर निकल आये. महालक्ष्मी मंदिर से ही लगे कुछ छोटे बड़े अन्य मंदिरों में एक स्यंभू श्री पाताली हनुमान मंदिर बड़ा ही सुन्दर लगा. मंदिर के अन्दर हनुमान जी की मूर्ति चांदी के आवरण में इतनी लुभावनी लग रही थी की बस नजरें हटाने का मन ही नहीं कर रहा था.

श्री पाताली हनुमान मंदिर के सामने

श्री पाताली हनुमान जी की मूर्ति
महालक्ष्मी मंदिर के आसपास और बहुत से छोटे बड़े मंदिर बने हुए हैं, इन्हीं मंदिरों में से एक है धाकलेश्वर महादेव मंदिर जो की महालक्ष्मी मंदिर से कुछ ही कदमों की दुरी पर स्थित है.
धाकलेश्वर महादेव मंदिर:

धाकलेश्वर महादेव मंदिर मुंबई के कुछ प्राचीन मंदिरों में से एक है, लेकिन इसकी जीर्ण अवस्था की वजह से यह मंदिर एक लम्बे समय से उपेक्षा का पात्र बना हुआ था. खैर अब मंदिर ट्रस्ट के प्रयासों से इसका पुनर्निर्माण किया गया है और अब फिर से यह मंदिर अपना खोया हुआ वैभव बहुत तेजी से प्राप्त कर रहा है. मंदिर का नाम इसके निर्माणकर्ता श्री दादाजी धाक जी के नाम पर रखा गया है तथा इसे लगभग 200 वर्ष पुराना माना जाता है.
धाकलेश्वर मंदिर जो मुंबई शहर की एक विरासत है, बाबुलनाथ मंदिर के बाद मुंबई का दूसरा सबसे पुराना मंदिर है, लेकिन बहुत से लोग इस मंदिर के ऐतिहासिक महत्त्व से अपरिचित हैं. मंदिर का वास्तु आदिकालीन है तथा यह मंदिर अलग अलग कक्षों में विभाजित है. पहला  कक्ष भगवन श्री गणेश को समर्पित है, दूसरा कक्ष माता रामेश्वरी, तीसरा (मध्य तथा मुख्य) कक्ष  भगवान् शिव को, चौथा कक्ष भगवान् विष्णु तथा माँ लक्ष्मी तथा पांचवा एवं अंतिम कक्ष विनायाकदित्य, जया तथा विजया को समर्पित है. मंदिर के सामने पोर्च में नंदी जी विराजमान हैं.

श्री धाकलेश्वर महादेव मंदिर

जय श्री धाकलेश्वर महादेव

श्री धाकलेश्वर महादेव मंदिर


इस मनभावन धाकलेश्वर महादेव मंदिर के दर्शन करने के बाद हम सबने मंदिर से बाहर आकर कुछ देर पोर्च में बैठ कर मंदिर के बाहरी वातावरण का आनंद लिया और फिर चल दिए अपने अगले गंतव्य की ओर.
इस भाग में बस इतना ही, अगले भाग में मुंबई के कुछ और आकर्षण.

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