Thursday, 10 May 2012

Somnath Attractions / सोमनाथ भ्रमण———-एक अलौकिक एहसास - By Kavita Bhalse


जय सोमनाथ..................जय सोमनाथ
साथियों,
इस श्रंखला की पिछली कड़ी में आपने पढ़ा हम लोगों ने किस तरह सोमनाथ जाने की योजना बनाई, कैसा रहा हमारा उज्जैन से वेरावल तथा वहां से सोमनाथ का सफ़र, क्या अनुभूति हुई हमें जब हमने सर्वप्रथम सोमनाथ मंदिर में प्रवेश किया, क्या था सोमनाथ मंदिर का इतिहास, कैसा था सोमनाथ मंदिर का अतीत……………….. और अब प्रस्तुत है इस श्रंखला का दूसरा भाग जिसमें मैं आपको बता रही हूँ सोमनाथ के समुद्र तट (Beach), सोमनाथ मंदिर की आरती एवं सोमनाथ के अन्य दर्शनीय स्थलों के बारे में……………………

अगले दिन:  
सुबह साढ़े छः बजे उठते ही बच्चों को नहलाया और हम दोनों भी नहा धोकर मंदिर की ओर निकल गए. सुबह सात बजे आरती थी, आरती में शामिल हुए और आरती समाप्त होने के बाद हम अपने पंडित जी से मिले और अभिषेक के बारे में बात की तो पंडित जी ने हमें जानकारी दी की सोमनाथ मंदिर में गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति किसी भी भक्त को नहीं है, चूँकि दर्शन ही दुर से करने होते हैं तो स्पर्श एवं अभिषेक का तो सवाल ही नहीं उठता है, लेकिन भक्तों के लिए एक व्यवस्था जरूर है, दर्शन के लिए जो बेरीकेट लगा है  वहीँ एक फनल (कुप्पी) लगी है जिसमें जल डालने से यह जल पम्प के द्वारा ज्योतिर्लिंग तक पहुँच जाता है एवं ज्योतिर्लिंग का अभिषेक हमारे द्वारा प्रेषित जल से हो जाता है लेकिन ध्यान रखने योग्य बात है की यहाँ भगवान का अभिषेक गंगाजल से ही होता है, और यह गंगाजल समीप ही स्थित एक दूकान जो सोमनाथ ट्रस्ट के द्वारा चलाई जाती है  से 50 रुपये प्रति बोतल की दर से आसानी से प्राप्त किया जा सकता है, अतः हमने भी इसी तरह से गंगाजल से भगवान सोमनाथ का अभिषेक किया.
हमने जिन पंडित जी से अभिषेक की बात की थी वे हमें स्पर्श अभिषेक के लिए पुरातन सोमनाथ मंदिर में लेकर गए जो की इंदौर की महारानी पुण्यश्लोका देवी अहिल्या बाई होलकर (जिनकी मैं अनन्य भक्त हूँ) के द्वारा निर्मित करवाया गया है, यह मंदिर सोमनाथ मंदिर परिसर में ही है तथा मुख्य सोमनाथ मंदिर के सामने ही स्थित है. पंडित जी का रवैया बड़ा ही स्नेहिल था उन्होंने हमारे दोनों बच्चों को आशीर्वाद दिया, संतोषप्रद पूजन एवं अभिषेक के बाद हम सब मंदिर से बाहर आ गए. यहाँ एक बात मैं जरुर बताना चाहूंगी की जैसे आम तौर पर मंदिरों में पण्डे पुजारी अभिषेक के लिए आपके पीछे लग जाते हैं, ऐसा यहाँ पर नहीं है, यहाँ आपको ही पंडित को ढूंढने की मशक्कत करनी पड़ती है.


देवी अहिल्याबाई निर्मित सोमनाथ मंदिर
सोमनाथ समुद्र तट (Beach):  
अभिषेक पूजा भक्ति भावना के बाद अब समय था थोडा एन्जॉय करने का और बच्चों को भी अब थोडा मस्ती करने का मन हो रहा था अतः हम सब मंदिर से ही लगे हुए सोमनाथ बीच पर आ गए. संस्कृति, शिवम मुकेश और मैं हम चारों ने यहाँ बीच पर खूब देर तक समुद्र की लहरों की साथ अठखेलियाँ की, जीवन में पहली बार ऊंट की सवारी की. सोमनाथ में हमारे जीवन का पहला समुद्र दर्शन था अतः हमें एक अलग ही तरह का अनुभव हो रहा था, हमने बहुत अच्छा समय बिताया और अब हम सोमनाथ के अन्य दर्शनीय स्थलों के अवलोकन के लिए लालायित थे अतः हमने सोमनाथ भ्रमण के लिए 200 रुपये में एक ऑटो रिक्शा तय किया और सोमनाथ भ्रमण के लिए निकल पड़े. सोमनाथ भ्रमण के बाद हमें आज ही द्वारिका के लिए बस द्वारा निकलना था अतः हमने पहले द्वारिका की बस के बारे में पता किया तो हमें मालूम हुआ की द्वारिका के लिए बस दोपहर तीन बजे है, अतः हमें सोमनाथ के अन्य दर्शनीय स्थल 2 बजे से पहले देखकर वापस होटल जाकर चेक आउट करके बस स्टेंड जाकर द्वारिका के लिए बस पकडनी थी. अतः हम जल्दी ही सोमनाथ साईट सीइंग के लिए निकल पड़े.

सोमनाथ का समुद्र तट

लहरों से अठखेलियाँ

घरौंदे बनाते बच्चे

लहरों से अठखेलियाँ एवं पार्श्व में सोमनाथ मंदिर

सोमनाथ समुद्र तट पर हम सब

समुद्र तट पर ऊंट की सवारी

समुद्र तट पर ऊंट की सवारी
सोमनाथ के अन्य दर्शनीय स्थलों का अवलोकन:
सोमनाथ में सोमनाथ मंदिर के अलावा भी बहुत से अन्य दर्शनीय स्थल एवं मंदिर हैं जिनके दर्शन के बिना सोमनाथ यात्रा संपूर्ण नहीं होती. हमारा ऑटो रिक्शा वाला भी बहुत सहयोगी व्यक्ति था उसने हमें बहुत अच्छे से हर एक जगह के दर्शन कराये तथा मार्गदर्शक (गाइड) का रोल भी अदा किया.  तो चलिए अब मैं आपको थोड़ी सी जानकारी देती हूँ सोमनाथ के कुछ अन्य दर्शनीय स्थलों के बारे में………………….
देवी अहिल्या बाई होलकर द्वारा निर्मित सोमनाथ मंदिर:
यह मंदिर मुख्य सोमनाथ मंदिर के ही परिसर में स्थित है तथा मुख्य सोमनाथ मंदिर से लगा हुआ है. चूँकि मुख्य सोमनाथ मंदिर पर बार बार मुस्लिम आक्रमणकारी आक्रमण कर रहे थे अतः मध्य काल में  इंदौर की महारानी देवी अहिल्याबाई जो की स्वयं भगवान शिव की बहुत बड़ी भक्त थीं ने सन 1783 में इस मंदिर का निर्माण करवाया. उन्होंने ऐसा महसूस किया की सोमनाथ मंदिर पर बार बार आक्रमण होने का कारण उस स्थान का अशुभ होना है अतः उन्होंने मुख्य सोमनाथ मंदिर के स्थान से थोडा हटकर इस मदिर का निर्माण करवाया. सुरक्षा कारणों से इन्होने इस मंदिर को तलघर में बनवाया.
इस मंदिर में पूजा पाठ एवं अभिषेक/स्पर्श पर कोई पाबन्दी नहीं है अतः अभिषेक के इच्छुक भक्त यहाँ पर पूजा पाठ एवं अभिषेक करते हैं. यह मंदिर भी श्री सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट के द्वारा ही संचालित किया जाता है.
भालका तीर्थ:
सोमनाथ भ्रमण में सबसे पहले हम पहुंचे भालका तीर्थ मंदिर में. भालका  तीर्थ प्रभास – वेरावल मार्ग पर एक प्रसिद्द तीर्थ मंदिर है. ऐसा माना जाता है की यह वही जगह है जहाँ पर भगवान कृष्ण को जारा नामक एक शिकारी ने अपने तीर से घायल किया था. भगवान श्रीकृष्ण एक वट वृक्ष के निचे ध्यान साधना में मग्न थे की तभी शिकारी ने उनके पैर को हिरन का पैर समझ कर तीर चला दिया था. भगवान श्री कृष्ण के बाएं पैर के अंगूठे पर शिकारी के बाण से जहाँ खून बहा वही स्थान है भालका तीर्थ.

भालका तीर्थ मंदिर

भालका तीर्थ कुंड
गीता मंदिर:
गीता मंदिर तीन पवित्र नदियों के संगम त्रिवेणी तीर्थ पर स्थित एक कृष्ण मंदिर है जिसे बिरला परिवार ने सन 1970 में निर्मित करवाया था. ऐसा माना जाता है की भगवान श्रीकृष्ण शिकारी जारा के बाण से घायल होने के बाद भालुका तीर्थ से यहाँ चार किलोमीटर दूर गीता मंदिर तक घायलावस्था में ही पैदल चलकर आये थे.
गीता मंदिर जिसे बिरला मंदिर भी कहा जाता है संगमरमर से बना एक अतिसुन्दर मंदिर है. यहाँ पर मंदिर की संगमरमर की दीवारों पर गीता के दोहे/ श्लोक बड़ी ही सुन्दरता के साथ उकेरे गए हैं.
गीता मंदिर परिसर में ही बलरामजी की गुफा, लक्ष्मीनारायण मंदिर, देहोत्सर्ग स्थल, श्री काशी विश्वनाथ मंदिर, महाप्रभुजी की बैठक आदि स्थित हैं.

त्रिवेणी संगम
सूरज मंदिर:
सूरज मंदिर जो सोमनाथ में सूर्य मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, एक अति प्राचीन मदिर है तथा कहा जाता है की यह मंदिर आदि सोमनाथ मंदिर के समय का है. इस मंदिर का निर्माण भगवान सूर्य की पूजा अर्चना करने के लिए निर्मित किया गया था.
मंदिर का वास्तु बड़ा ही सुन्दर है जहाँ हाथी, शेर एवं पक्षियों की बहुत सी छवियाँ बनी हुई हैं. यह मंदिर भी  कई बार मुस्लिम आक्रमणकारियों द्वारा ध्वस्त किया गया था.
पांच पांडव गुफा:
पांच पांडव गुफा एक मंदिर है जो की सोमनाथ में लालघाटी के नजदीक स्थित है. यह मंदिर एक आश्चर्यजनक मंदिर है जिसकी स्थापना स्वर्गीय श्री बाबा नारायणदास ने सन 1949  में की थी. यह मंदिर पांच पांडव भाइयों को समर्पित है तथा यहाँ पांचो पांडवों की मुर्तिया विद्यमान हैं.

पांडव गुफाओं में शिवलिंग समूह

पांडव गुफाओं में आदि शंकराचार्य एवं उनके शिष्य
देहोत्सर्ग:
इस स्थान पर भगवान श्री कृष्ण ने अपने प्राण त्यागे थे तथा यहीं पर श्रीकृष्ण का अंतिम संस्कार किया गया था अतः इस स्थान को देहोत्सर्ग कहा जाता है. इस स्थान पर अनेक स्तंभों पर आधारित एक भव्य स्मारक (समाधी स्थल) एवं गीता मंदिर का भी निर्माण किया गया है.

देहोत्सर्ग: भगवान् श्री कृष्ण की समाधि
बाणगंगा:
यह एक बड़ी ही मनोरम एवं सुन्दर जगह है जहाँ पर समुद्र के अन्दर दो शिवलिंग स्थापित किये गए हैं. शिवलिंग प्राकृतिक नहीं है, ऐसा लगता है की इन्हें यहाँ लाकर स्थापित कर दिया गया है. लेकिन द्रश्य सचमुच बड़ा ही मनोहारी लगता है. आप खुद कल्पना कीजिये समुद्र के उथले किनारे पर शिवलिंग जो आधा समुद्र में डूबा हुआ है तथा समुद्र की लहरें शिवलिंग को जलमग्न करके लौट रही है. ऐसा लगता है समुद्र लगातार भगवान शिव का जलाभिषेक कर रहा है.

बाणगंगा: समुद्र के द्वारा शिव का जलाभिषेक.............सतत............निरंतर.............

बाणगंगा: समुद्र के द्वारा शिव का जलाभिषेक.............सतत............निरंतर.............

बाणगंगा

बाणगंगा

अब लौटती हूँ अपने यात्रा वर्णन की ओर, तो इस तरह सोमनाथ मंदिर तथा अन्य दर्शनीय स्थलों के दर्शनों के पश्चात करीब डेढ़ बजे हम अपने होटल पहुंचे, फटाफट सारा सामान इकठ्ठा किया बैग तैयार किये और होटल से दो बजे के करीब चेक आउट कर दिया, और ऑटो रिक्शा पकड़ कर बस स्टेंड पर आ गए जहाँ से हमें 3 बजे द्वारका के लिए बस पकड़ना था, हम चूँकि समय से काफी पहले बस स्टेंड पहुँच गए थे अतः हमें करीब एक घंटा सोमनाथ बस स्टेंड पर इंतज़ार करना पड़ा.      3 :10  के लगभग हम द्वारका के लिए निकल गए.
अब इस कहानी को यहीं विराम देती हूँ तथा इस सीरिज की अगली कड़ी में आपको द्वारिका लेकर चलूंगी तब तक के लिए इंतज़ार कीजिये …………बाय……..बाय.

1 comment:

  1. लगे रहिये मुकेश भाई, यहाँ भी वाहन भी

    कविता जी का नाम भी पोस्ट में नीचे जरुर लिख देना चाहिए ताकि पढ़ने वाले जान सके की यह मुकेश भालसे ने लिखी है या कविता जी ने, क्यों की ब्लॉग तो आपने अपने नाम से बनाया हुआ है,

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