दोस्तों,
पिछली पोस्ट में आपने पढ़ा की आगरा में मैं, रितेश गुप्ता जी एवं जाट देवता एवं हम सबके परिवार इकट्ठा हो गए थे तथा हम सब साथ में ताज महल तथा आगरा का लाल किला देखने गए थे। लाल किला देखने तथा वहां सबके साथ में बड़ा अच्छा समय व्यतीत करने के बाद सब अलग अलग हो गए। जाट देवता को मथुरा घुमने जाना था अतः वे अपने परिवार के साथ मथुरा चले गए और हम लोग रितेश जी के घर से अपना सामान लेकर तथा रात का खाना खा कर आगरा फोर्ट रेलवे स्टेशन पहुँच गए जहाँ से हमें रात नौ बजे वाराणसी के लिए मरुधर एक्सप्रेस पकडनी थी। कहानी को आगे बढाने से पहले आइये हम सब एक साथ करते हैं काशी के भगवान विश्वनाथ के दर्शन ………… जय भोले।
पिछली पोस्ट में आपने पढ़ा की आगरा में मैं, रितेश गुप्ता जी एवं जाट देवता एवं हम सबके परिवार इकट्ठा हो गए थे तथा हम सब साथ में ताज महल तथा आगरा का लाल किला देखने गए थे। लाल किला देखने तथा वहां सबके साथ में बड़ा अच्छा समय व्यतीत करने के बाद सब अलग अलग हो गए। जाट देवता को मथुरा घुमने जाना था अतः वे अपने परिवार के साथ मथुरा चले गए और हम लोग रितेश जी के घर से अपना सामान लेकर तथा रात का खाना खा कर आगरा फोर्ट रेलवे स्टेशन पहुँच गए जहाँ से हमें रात नौ बजे वाराणसी के लिए मरुधर एक्सप्रेस पकडनी थी। कहानी को आगे बढाने से पहले आइये हम सब एक साथ करते हैं काशी के भगवान विश्वनाथ के दर्शन ………… जय भोले।