सर्वप्रथम सभी साथियों को मेरी और से दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें। हिंदी में यात्रा वृत्तान्त लिखने का ये मेरा प्रथम प्रयास है, आशा है की मेरे इस प्रयास को आप सभी पाठकों की और से प्रोत्साहन तथा मार्ग दर्शन प्राप्त होगा। तो चलिए इस बार आप लोगों को रूबरू कराता हुं एक बहुत ही पावन तथा रमणीय स्थान शेगांव से जो की संत श्री गजानन महाराज के स्थान के रूप में भारत भर में प्रसिद्ध है।
पिछले वर्ष अक्टुबर में श्रीसैलम ज्योतिर्लिंग तथा तिरुपति बालाजी की यादगार यात्रा के बाद बहुत समय से किसी यात्रा का योग नहीं बना था, इधर एक लम्बे अरसे महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में स्थित संत श्री गजानन महाराज के पवित्र स्थान शेगांव के बारे में सुनते चले आ रहे थे और पिछले एक वर्ष से वहां जाने का मन बन रहा था, अंततः अपनी इस इच्छा को मूर्त रूप देने के प्रथम प्रयास के रूप में मैंने अपने परिवार के साथ शेगांव जाने के लिए अपने करीबी शहर महू से अकोला के लिए दिनांक 21 अक्टुबर का रेलवे का रिजर्वेशन करवा लिया।
अकोला से शेगांव की दुरी करीब 55 किलोमीटर है जो की बस द्वारा एक से सवा घंटे में आसानी से तय की जा सकती है। खैर, नियत तारीख को हम (मैं, पत्नी कविता, बेटी संस्कृति तथा बेटा वेदांत) शाम 6 बजे अपनी शेवरोले स्पार्क कार से महू के लिए निकल पड़े, महू पहुंचकर रेलवे स्टेशन के सामने ही एक सुरक्षित जगह पर कार पार्क करके ट्रेन में सवार हो गए। ट्रेन में हमें अपने सहयात्रियों से पता चला की अकोला से पहले आकोट स्टेशन पर उतर कर वहां से बस द्वारा शेगांव जाने पर हम लगभग 2 घंटे समय की बचत कर सकते हैं अतः हम सुबह 6:30 बजे आकोट रेलवे स्टेशन पर उतर गए तथा वहां से महाराष्ट्र राज्य परिवहन की बस में सवार होकर शेगांव के लिए निकल पड़े।
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आकोट रेलवे स्टेशन
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सुबह सुबह का यह अनजानी राहों का सुहाना सफ़र जो हमें शीत ऋतू के आगमन की मीठी सी अनुभूति दे रहा था, बड़ा ही रोचक लग रहा था। सड़क के दोनों और दूर दूर तक फैले सूर्यमुखी के मनोहारी खेत बड़ा ही मन भावन दृष्य उपस्थित कर रहे थे ऐसा लग रहा था मानो वे हमें पास आने के लिए आमंत्रण दे रहे हों।
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सूर्यमुखी के मनभावन खेत |
बस के इस सफ़र को तय कर के हम करीब 8:30 बजे शेगांव पहुँच गए।
शेगांव:एक परिचय
शेगांव महाराष्ट्र राज्य के विदर्भ क्षेत्र के अंतर्गत बुलढाना जिले में स्थित एक क़स्बा है। यहाँ की जनसँख्या लगभग साठ हज़ार है। यहाँ के करीबी हवाई अड्डे नागपुर, अकोला तथा औरंगाबाद हैं। शेगांव पहुँचने के लिए सबसे सुविधाजनक माध्यम ट्रेन ही है, यह सेन्ट्रल रेलवे के मुंबई - भुसावल - नागपुर रूट पर स्थित एक रेलवे स्टेशन है। महाराष्ट्र के प्रमुख शहरों जैसे मुंबई, नागपुर अकोला, भंडारा, नांदेड, अमरावती, चंद्रपुर, वर्धा, यवतमाल, भुसावल अदि से बस सेवाएँ भी उपलब्ध हैं।
यह क़स्बा मुख्य रूप से श्री गजानन महाराज संस्थान मंदिर के लिए संपूर्ण भारत वर्ष विशेषकर महाराष्ट्र तथा करीबी राज्यों जैसे मध्य प्रदेश, गुजरात, आंध्र प्रदेश आदि में प्रसिद्ध है तथा दिन ब दिन आस्था के केंद्र के रूप में अपनी आभा फैला रहा है। यहाँ औसतन 35000 तीर्थ यात्री प्रतिदिन दर्शन के लिए आते हैं।
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शेगांव की सुबह |
शेगांव बस स्टैंड से श्री गजानन महाराज संस्थान के लिए संस्थान द्वारा संचालित निशुल्क बसें तथा अन्य साधन जैसे ऑटो रिक्शा, तांगा तथा साईकिल रिक्शा चौबीस घंटे उपलब्ध रहते हैं। यद्यपि शेगांव में ठहरने के लिए सुविधाजनक तथा किफायती होटल एवं धर्मशालाएं बड़ी संख्या में उपलब्ध हैं तथापि संस्थान द्वारा संचालित सर्व सुविधायुक्त भक्त निवास (भक्त निवास क्रमांक 1 से लेकर 6 तक) यहाँ ठहरने का सबसे उत्तम विकल्प है, ये भक्त निवास मुख्य मंदिर से कुछ कदमों की ही दुरी पर स्थित हैं। उच्च कोटि की स्वच्छता, तथा अत्यंत किफायती दरें इन भक्त निवासों की मुख्य विशेषता है (हर भक्त निवास में सुविधाओं के आधार पर दरें अलग अलग हैं)।
खाने के लिए संस्थान के भक्त निवास परिसर में ही संस्थान द्वारा संचालित भोजनालय हैं जहाँ 20 रुपये तथा 40 रुपये प्रति थाली की दर से स्वादिष्ट भोजन उपलब्ध है। मंदिर परिसर में महा प्रसादी के रूप में निःशुल्क भोजन की व्यवस्था प्रतिदिन 11 बजे से 1 बजे के बीच में है। वैसे संस्थान के बाहर बाज़ार में भी कुछ निजी होटल्स हैं जहाँ अच्छा भोजन मिलता है।
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श्री गजानन महाराज संस्थान प्रशासनिक कार्यालय |
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संस्थान द्वारा संचालित भोजनालय भवन |
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संस्थान द्वारा संचालित निःशुल्क बस सेवा | | | | |
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संस्थान द्वारा संचालित निःशुल्क बस के लिए यात्री प्रतीक्षालय |
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भक्त निवास क्र. 4 जहाँ हम ठहरे थे |
श्री गजानन महाराज संस्थान : एक परिचय
श्री गजानन महाराज संस्थान की स्थापना महाराज के समाधी लेने के दो वर्ष पूर्व सन 1908 में हुई थी। संस्थान का प्रबंध 12 ट्रस्टियों के द्वारा 2000 कर्मचारियों तथा 5000 स्वयं सेवियों के सहयोग से किया जाता है। इस संस्थान को अपने उत्कृष्ट प्रबंधन के लिए देश के कुछ चुनिन्दा संस्थानों में गिना जाता है।
संस्थान फ़िलहाल 40 से ज्यादा विभिन्न लोकोपयोगी संस्थाएं संचालित करता है जिनमें शिक्षण, स्वास्थ्य,सामाजिक कल्याण, पर्यावरण संरक्षण, सांस्कृतिक तथा अध्यात्मिक संस्थाएं प्रमुख हैं। संस्थान प्रतिवर्ष 3 उत्सवों को प्रमुखता से मनाता है- महाराज का प्रगट दिवस, महाराज की पुण्यतिथि तथा रामनवमी। इन उत्सवों में लाखों की संख्या में भक्त उपस्थित होते हैं। प्रतिवर्ष करीब एक करोड़ श्रद्धालु यहाँ मंदिर के दर्शन करने के लिए आते हैं।
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संस्थान द्वारा जन कल्याणकारी कार्य |
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संस्थान सभागृह |
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संस्थान का उत्कृष्ट प्रबंधन |
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स्थान का एक कार्यालय |
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संस्थान का एक कार्यालय |
ये तो था शेगांव तथा श्री गजानन महाराज संस्थान का एक संक्षिप्त परिचय।
अब मैं आपको वापस ले चलता हूँ मेरे यात्रा अनुभव की ओर - शेगांव बस स्टैंड पर उतर कर हमने 5 रु. प्रति सवारी के हिसाब से एक साईकिल रिक्शा तय किया तथा 10 मिनट में श्री गजानन महाराज संस्थान पहुँच गए, अब मेरी पहली प्राथमिकता थी भक्त निवास में ठहरने के लिए एक कमरा लेना अतः संस्थान के ऑफिस से हमने 175 रु. प्रतिदिन की दर पर भक्त निवास नंबर 4 में अटेच्ड लेट बाथ वाला एक कमरा बुक करवाया. कमरा काफी अच्छा तथा सुकुनदायक था, किसी भी कोने में नज़र दौडाओ हर तरफ साफ़ स्वच्छ चमचमाती फर्शें, ऐसा लगता है जैसे साफ़ सफाई का यहाँ के लोगों को जूनून है।
कुछ देर कमरे में आराम फरमाने तथा सफ़र की थकान को मिटाने का असफल प्रयास करने के बाद हम बारी बारी से नहा धो कर कपडे वगैरह बदलकर मंदिर जाने के उद्देश्य से संस्थान परिसर में आ गए, यहाँ से मुख्य मंदिर कुछ क़दमों की दुरी पर ही है अतः हम पैदल ही मंदिर की ओर चल दिए।
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भक्त निवास का गलियारा |
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भक्त निवास में फुर्सत के क्षण |
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भक्त निवास में हमारा कमरा |
I will appear with Next part of this story very soon.
ReplyDeleteहम तो इन्तजार कर रहे है ११/११/११ को शुभ दर्शन होंगे या पहले?
ReplyDelete११.११.११ के दर्शन जरूर होंगे संदीप भाई,
ReplyDeleteआपके चाहनेवाले भारत भर में हम जैसे बहुत सरे है और हम सब की ढेरों शुभकामनायें आपके साथ हमेश रहेंगी.