पिछली पोस्ट में मैंने आपको बताया था की किस तरह से हम सुबह से
महालक्ष्मी मंदिर के दर्शनों के लिए निकले थे और गुडी पड़वा का त्यौहार
होने की वजह से अत्यंत भीड़ थी और हमने हाजी अली दरगाह की ओर रुख कर लिया
था. अगले दिन फिर सुबह से हम सब तैयार होकर निकल पड़े महालक्ष्मी देवी के
दर्शन के लिए.
सुबह का समय था और आज अपेक्षाकृत भीड़ भी बहुत कम थी अतः हमें मंदिर में पहुँचने तथा दर्शन में बहुत कम समय लगा. मंदिर बहुत ही सुन्दर है, एक बात मंदिर परिसर की जो मुझे बहुत अच्छी लगी वो थी मंदिर परिसर में सभामंड़प के ठीक सामने बैठकर दो तीन लोग शहनाई पर बड़ी अच्छी धुन बजा रहे थे, इतना सुन्दर संगीत की बस सुनते ही रहने का मन कर रहा था.
सुबह का समय था और आज अपेक्षाकृत भीड़ भी बहुत कम थी अतः हमें मंदिर में पहुँचने तथा दर्शन में बहुत कम समय लगा. मंदिर बहुत ही सुन्दर है, एक बात मंदिर परिसर की जो मुझे बहुत अच्छी लगी वो थी मंदिर परिसर में सभामंड़प के ठीक सामने बैठकर दो तीन लोग शहनाई पर बड़ी अच्छी धुन बजा रहे थे, इतना सुन्दर संगीत की बस सुनते ही रहने का मन कर रहा था.